बाराबंकी- कांग्रेस से लेकर समाजवादी पार्टी ने पसमांदा मुसलमान को सिर्फ वोटबैंक बनाकर रखा। उसे सत्ता पाने के लिए इस्तेमाल किया, जब कुछ करने की बारी आई मुंह फेर लिया। इन दलों की राह पर भाजपा को नही चलना चाहिए। पसमांदा को साथ लेने का एक मतलब यह भी है कि केन्द्र सरकार में किसी पसमांदा चेहरे को शामिल किया जाए जो अब तक नही हुआ है। भाजपा को इस बारे में सोचना होगा।
यह बात आल इंडिया पसमांदा मुस्लिम महाज के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष वसीम राईन ने अपने बयान में कही। उन्होंने कहा कि समाजवादी पार्टी वादा कर मुकर जाने में बेहद माहिर है, इस दल के नेताओ ने कहा कि समितियों की सिफारिश लागू की जाएगी पर ऐसा नही हुआ। किसी पसमांदा चेहरे को राज्यसभा पहुँचने नही दिया बस बयानबाजी करते रहे और वोट लेकर राज करते आये। यह भूल गए कि सत्ता तक पहुंचने में पसमांदा मुसलमान ने कितनी बड़ी भूमिका निभाई। यही हाल कांग्रेस ने भी किया, सत्ता, सदन संगठन में कहीं भी रहने नही दिया। धर्मनिरपेक्ष होने का ढोंग करते रहे। राष्ट्रीय उपाध्यक्ष ने कहा कि इन दोनों फरेबी दलों से मुंह मोड़ कर बैठे पसमांदा मुसलमान में भाजपा ने आस जगाई और साथ लेकर चलने की बात कहकर उम्मीद से वास्ता कराया पर करीबी अब तक कहीं दिखाई नही दी। सरकार में भागीदारी के बिना कोई समाज अपने पैरों पर खड़ा नही हो सकता, भाजपा को भी सरकार में पसमांदा को भागीदारी देकर अपना उदार चेहरा सामने रखना चाहिए था, इसका सन्देश दूर तक जाता और समाज भी बेहतर ढंग से भाजपा के साथ खड़ा हो सकता पर अभी तक ऐसा कुछ भी नही किया गया, जिससे पसमांदा समाज मे निराशा है। अन्य दलों की करतूतों से इतर भाजपा को खुद को अलग साबित करना होगा तभी वह अपने मकसद में कामयाब हो सकती है।जब तक पसमांदा तहरीक पर काम कर रहे लोगो को जगह नहीं मिलेगी तब तक कोई मकसद पूरा नहीं होगा।