मोतिगरपुर, सुल्तानपुर – संत दत्तात्रेय सदानंद चौरासी महाराज 90 का अंतिम संस्कार मंगलवार दोपहर सिख परंपरा के अनुसार मोतिगरपुर के बेलहरी गांव स्थित आश्रम परिसर में किया गया। सेवादार शैलेंद्र सिंह उर्फ मौनी बाबा ने उन्हें मुखाग्नि दी। इस मौके पर हजारों की संख्या में उनके भक्त और अनुयायी शामिल हुए। सोमवार को चौरासी बाबा के निधन के बाद उनका पार्थिव शरीर भक्तों और अनुयायियों के अंतिम दर्शन के लिए फ्रीजर में रखा गया था। देररात से ही अंतिम दर्शन के लिए भक्तों का आना शुरू हो गया था। मंगलवार सुबह 10 बजे आश्रम पहुंचे सुल्तानपुर गुरुद्वारा के ज्ञानी नवजोत सिंह और उनके सहयोगियों ने गुरु ग्रंथ साहिब और गुरुवाणी का पाठ किया। वहीं, दोपहर 12 बजे उनके पार्थिव शरीर को सिख परंपरा के अनुसार, स्नान आदि कराकर सेवादार/भंडारी दिनकर पांडेय ने वस्त्र धारण कराया। परिसर में बने मुख्य मंदिर के सामने पार्थिव शरीर को रखा गया, जहां भक्तों ने चादरें चढ़ाईं व पुष्प अर्पित किए। पार्थिव शरीर को आश्रम के मंदिरों की परिक्रमा के बाद परिसर स्थित कुएं के पास बनी चिता पर रखा गया। अरदास के बाद प्रमुख सेवादार शैलेंद्र सिंह उर्फ मौनी बाबा ने दोपहर 1:35 पर उन्हें मुखाग्नि दी। इस दौरान सेवादार सुमन सिंह, शिवेंद्र प्रताप सिंह, दीपेंद्र सिंह ‘दीपक’, केडी सिंह, कपिलकांत सिंह, धर्मराज पांडेय, राजन सिंह, प्रमोद अग्रवाल मौजूद रहे। सोमवार से प्रशासन ने आश्रम पर सुरक्षा व्यवस्था काफी कड़ी कर दी थी। पीएससी के जवानों को भी तैनात किया गया था। संत दत्तात्रेय सदानंद चौरासी महाराज के अंतिम दर्शन के लिए बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों के साथ ही चर्चित हस्तियां भी पहुंचीं। सदर विधायक राज प्रसाद उपाध्याय, ब्लॉक प्रमुख मोतिगरपुर चंद्र प्रताप सिंह, ब्लॉक प्रमुख जयसिंहपुर प्रतिनिधि प्रभाकर शुक्ल, भाजपा नेता संतबक्श सिंह ‘चुन्नू’, डॉ. एके सिंह, हरिबक्श सिंह ‘मुन्नू’, अजय कुमार चतुर्वेदी ‘नंदन’, सपा नेता संजय वर्मा, रत्नेश तिवारी, अंजनी कुमार यादव, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष ओपी चौधरी, प्रधान प्रतिनिधि बेलहरी राम केवल यादव सहित बड़ी संख्या में स्थानीय लोगों ने चौरासी बाबा के अंतिम दर्शन किए। सेवादार शिवेंद्र प्रताप सिंह और दीपेंद्र सिंह ने बताया कि जिस स्थान पर चौरासी बाबा का अंतिम संस्कार किया गया है, वहीं उनकी समाधि बनाई जाएगी। अस्थियों को तीन कलश में रखा जाएगा। इसके बाद गोमती, गंगा के अलावा पंजाब के अमृतसर स्थित रावी नदी में प्रवाहित किया जाएगा। 25 जनवरी सुबह से 27 जनवरी की दोपहर तक 48 घंटे के गुरु ग्रंथ साहिब के अखंडपाठ/संकीर्तन का आयोजन किया गया है। उसी दिन दोपहर बाद भंडारा होगा।