सुल्तानपुर- मेडिकल कॉलेज में नेत्र रोगियों के लिए 16 बेड का नया वार्ड आरक्षित किया गया है। यह वार्ड पुराने नेत्र रोग विभाग में बनाया गया है। यहीं पर ही आंख के मरीजों के लिए ऑपरेशन थिएटर बनाया गया है। दो डॉक्टरों की तैनाती के बाद हफ्ते में चार दिन रोगियों का ऑपरेशन किया जा रहा है। औसतन एक दिन में 15-20 ऑपरेशन होने से मरीजों को काफी सहूलियत मिल रही है। जिला अस्पताल को अपग्रेड कर मेडिकल कॉलेज बनाए जाने के बाद से मरीजों की स्वास्थ्य सुविधाओं में काफी बढ़ोतरी हुई है। मेडिकल कॉलेज में इस समय आंख के दो सर्जन तैनात हैं। अभी तक छोटी बीमारियों के मरीजों का ऑपरेशन होता था। ऑपरेशन थिएटर में शल्य क्रिया में प्रयोग की जाने वाली मशीनों व सुविधाओं का अभाव था। सर्जन की कमी के चलते कभी-कभार ही ऑपरेशन होते थे। करीब एक महीने पहले ओटी को व्यवस्थित कराया गया। शल्य क्रियाओं में प्रयोग होने वाले संसाधन मंगाए गए और ऑपरेशन शुरू किए गए। लगातार ऑपरेशन की संख्या बढ़ने से बेड की कमी आड़े आने लगी। काफी मशक्कत के बाद पुराने नेत्र रोग विभाग में ही 16 बेड का एक वार्ड आरक्षित कर दिया गया है। अब यहां ऑपरेशन के बाद मरीजों को भर्ती किया जा रहा है। सीएमएस डॉ. सुधीर कुमार गोयल ने बताया कि मेडिकल कॉलेज में सर्जन डॉ. शिवप्रिया व डॉ. सुनील पटेल की तैनाती है। दोनों डॉक्टरों के आने के बाद ऑपरेशन में तेजी आई है। अब मोतियाबिंद, ग्लूकोमा, गीला एएमडी, रेटिना का फटना और अलग होना, डायबिटिक रेटिनोपैथी, निकट दृष्टि और दूर दृष्टिदोष समेत अन्य बीमारियाें का ऑपरेशन से इलाज हो रहा है। औसतन 15-20 ऑपरेशन एक दिन में हो रहे हैं। ठंड ने आंखों में जलन व खुजली की परेशानी बढ़ा दी है। एक महीने पहले तक करीब 100 से 125 मरीजों की ओपीडी होती थी, जो अब बढ़कर 150-170 हो गई है। सोमवार को नेत्र विभाग में 170 मरीजों ने इलाज कराया। सर्जन डॉ. शिवप्रिया गुप्ता ने बताया कि इस समय ठंडी हवा का असर कार्निया पर पड़ रहा है। जिससे पानी आने की शिकायत ज्यादा आ रही है। मरीजों को सावधानी बरतने की सलाह दी जा रही है। सर्जन डॉ. सुनील पटेल ने बताया कि आंखों में सूखापन के मामले बढ़े हैं। हीटर के ज्यादा प्रयोग से भी आंखों में समस्या आ रही है मेडिकल कॉलेज में हुई 1452 ओपीडी पिछले 15 दिनों से 1000-1100 मरीजों की ओपीडी हो रही थी, लेकिन सोमवार को आंकड़ा बढ़कर 1452 हो गया। सबसे ज्यादा मरीज ब्लड प्रेशर, दमा, टीबी, नेत्र व कान के थे। दिन भर लोग इलाज व दवा के लिए जूझते दिखे।