बाराबंकी – मार्ग जाम को लेकर फुटपाथ पर गैर कानूनी बने पार्किंग स्थल-फुटपाथ व्यापारियों-फल-सब्जी के ठेलों को हटाकर निर्धारित स्थल पर लगवाने की कवायत की जगह प्रशासन ने ऐसा रास्ता चुना कि ना तो जाम से राहत मिले और प्रशासन काम करता भी नजर आए वो भी भ्रष्टाचार की गुंजाइश के साथ। मतलब देशी भाषा में कहें तो ‘‘हाथ बंद नहीं और काम नहीं’’ चरितार्थ है। लेकिन एक फायदा जरूर है कि हम दो हमारे दर्जन भर वालों की चव्वनी-अठन्नी जो मासूमियत में ही ठेला थाम ले रही थी, के ई रिक्शा चलाने के चलते जो दुर्घटनाओं की संभावना बढ़ गई थी वो एआरटीओ मैडम की कार्रवाई के डर से जरूर सुधर गई लगती है। बताते चलें कि विभागीय ड्यूटी में चम्मचगिरी का प्रयाय बने कलमकारों को रोज बैठना है तो कोई ना कोई राय शुमारी भी अपनी बेहतर आई क्यू के प्रदर्शन में जो नए नए सुझाव देना है उसमें सबसे सस्ते बैठे ई रिक्शा संचालक। जिनके परमिट रूट वाईज पर कार्य करने की जगह हजारों के चालान कर टेर्रर जनता में उत्पन्न करने की कवायत में तमाम विभाग इतनी इमानदारी से जुटे हैं कि आश्चर्य होता है कि वाकई क्या सरकारी विभाग हैं? लेकिन फिर यह ध्यान आने पर कि यह तेजी जनता को कुछ देने की पहल की नहीं है बल्कि भयाक्रांत कर सरकारी डण्डे का अहसास कराने की तेजी है तो फिर इत्मिनान हो जाता है कि विभाग सरकारी हिसाब से ही कार्य कर रहे हैं। बताते चलें कि परिवहन एवं यातायात विभाग द्वारा सड़कों पर बिना फिटनेस व ड्राइविंग लाइसेन्स के अपंजीकृत ई-रिक्शा व आटो के खिलाफ संघन चेकिंग अभियान चलाया गयाद्य अभियान के दौरान क्षमता से अधिक सवारी, बिना लाइसेंस एवं नाबालिग द्वारा ई रिक्शा संचालित करते मिलने पर दंडात्मक कार्यवाही की गईद्य
मंगलवार को लखनऊ-गोंडा-बहराइच मार्ग पर सहायक संभागीय परिवहन अधिकारी प्रशासनध्प्रवर्तन श्रीमती अंकिता शुक्ला, सीओ आलोक पाठक, यात्री-मालकर अधिकारी रवि चन्द त्यागी की संयुक्त टीम ने बिना ड्राइविंग लाइसेंस, रजिस्ट्रेशन के 14 ई-रिक्शा के विरुद्ध दंडात्मक कार्यवाही करते हुए थाना मंडी में बंद किया द्य वहीं क्षमता से अधिक सवारी एवं सामान लादकर चलने वाले दर्जनों ई रिक्शा ऑटो के चालान किएद्य वैसे बता दे जनपद होकर तमाम बड़ बड़े अधिकारियों, सचिवों न्यायिक अधिकारियों तक के संरक्षण में अम्बेडकरनगर, बलरामपुर, बहराईच, गोण्डा बस्ती, अयोध्या गोरखपुर की ओर तमाम डग्गामार बसे ना सिर्फ खुलेआम फर्राटा भर रहीं हैं। बल्कि इनकी अवैध पार्किंग के चक्कर में कमता, चिनहट में अक्सर घंटो जाम की स्थिति ब ी रहती है। लेकिन मामला रसूखदारों का है तो उनके बचाव में चल रही एक आध आम की डग्गामार पर कार्रवाई कर विभाग कोरम पूरा कर देता है। लेकिन जाम पर राहत जिनपर कार्रवाई से होती उनकी तरफ तो देखना गुनाह है। जैसा पूर्व के तत्कालीन एआरटीओ की कार्रवाई में न्यायिक अधिकारियों से लेकर बड़े बड़े सचिवों ने तूफान खड़ा कर दिया था। लेकिन यहां दर्द गरीबों का है किसी अधिकार सम्पन्न का नहीं जो मेडल या दूसरे फायदे करवा देगा तो किसी को अहसास तक नहीं होता।