सफदरगंज, बाराबंकी – पैदल शौचालय के लिए जा रही गांव की महिलाओं पर तेज रफ्तार मेटर सायकिल ने जोरदार टक्कर मार दी। जिसमें मोटरसाइकिल की चपेट में आकर 04 तीन युवतियां व एक बच्ची बुरी तरह चोटिल हो गई। किसी का हाथ टूटा, किसी का पैर तो किसी का जबड़ा टूट गया तो किसी को अंदरूनी गहरी चोट आई। मौके पर बाईक छेड़कर चालक फरार हो गया। लोगों की सूचना पर पहुंची 112 डायल पुलिस की संवेदनहीनता व लापरवाही उस समय ग्रामीणों के बताए अनुसार सामने आयी। जब नियमतः एम्बुलेंस से महिलाओं को चिकित्सालय ले जाकर इलाज व चिकित्सीय परीक्षण कराकर चालक के खिलाफ मुकदमा पंजीकृत करने के ग्रामीणों को इलाज कराने की नसीहत देकर 112 पुलिस तो वापस लौट ही गई बच्ची नैन्सी के पिता की तहरीर पर 12 दिन बाद भी सफदरगंज पुलिस ने भी ना तो मुकदमा पंजीकृत किया और ना ही जांच तक ही की ना ही बयान लिया। कहना अतिश्योक्ति होगी कि बाईक बरामद, चालक के खिलाफ तहरीर 4-5 चोटिल जिला चिकित्सालय में भर्ती फिर भी मामला पंजीकृत ना कर, कहीं ना कहीं भारी तरावट की गवाही साफ है, भले ही वरिष्ठों की नजर में किसी ना किसी कारण छवि अच्छी प्राप्त जानकारी के अनुसार थाना सफदरगंज के ग्राम बनौक निवासिनी नैन्सी पुत्री राजकुमार तमाम ग्रामीण महिलाओं के साथ बीती 02 मार्च को सहेलियों के साथ शौच के लिए जा रही थीं। जैसे ही महिलाएं हनुमान मंदिर के निकट रामनगर-सफदरगंज मार्ग पहुंची सहादतगंज की ओर से आ रही तेज रफ्तार मोटरसाइकिल नंबर यूपी 41 बीई 2748 ने महिलाओं को जोरदार टक्कर मार दी। जिससे तमाम महिलाएं दूर उछल गईं। जिसमें नैन्सी (अनुमानित आयु 6 वर्ष) पुत्री राजकुमार का कन्धा व पैर चूट गया, राधा देवी पत्नी सुभाष की जांघ की हड्डी टूट गई, अंजू पुत्री राम सिंह वा वैष्णवी पुत्री सुभाष को काफी अंदरूनी चोटें आईं। ग्रामीणों के बताए अनुसार मोटर सायकिल चालक थाना कोतवाली नगर के मोहल्ला पीरबटावन निवासी मोहम्मद युनूस पुत्र हबीबुर्रहमान जिसने छेड़छाड़ की नीयत से जानबूझकर टक्कर मारी थी व बाद में मोटरसाइकिल मौके पर छोड़ कर फरार हो गया। ग्रामीणों का आरोप है कि 112 डायल पर पहुंची पुलिस ने कोई कार्यवाही नहीं कि व इलाज कराने की नसीहत देकर चलते बने तो सफदरगंज पुलिस ने भी जख्मी नैन्सी के पिता राजकुमार की नामजद तहरीर पर भी मुकदमा पंजीकृत नहीं किया बल्कि ग्रामीणों को थाना से चलता कर दिया। ग्रामीणों ने किसी तरह महिलाओं को पहले एक निजी अस्पताल में दिखाया जहां जवाब मिलने पर जिला चिकित्सालय में भर्ती कराया है। जहां तमाम महिलाएं अभी भर्ती हैं नैन्सी को भी हर दूसरे तीसरे दिन अस्पताल ले जाना पड़ रहा है। ग्रामीणों का दर्द है कि मामला दर्ज हो गया होता तो इलाज में सहायता मिल जाती व दो़षी को सजा भी, जो मुकदमा पंजीकृत ना किए जाने व बुरी तरह जख्मी महिलाओं का चिकित्सीय परीक्षण ना होने के चलते लंबित है। साथ ही जिसकी पूरी जिम्मेदारी भी मुकामी पुलिस की ही थी जिसने ग्रामीणों के अनुसार आरोपी को बचानें में गरीब ग्रामीण महिलाओं व बच्ची की तरफ से मामला पंजीकृत नहीं किया। जनपद में हाल में ही सामने आया यह दूसरा मामला है जिसमें पुलिस बजाए कार्रवाई करने पीडड़ितों को न्याय दिलाने के आरोपी को बचाते नजर आ रही है।