रायबरेली – जिले में बिजली चोरी पर अंकुश लगाने के लिए शुरू की गई स्मार्ट मीटर की पहल अब तक रफ्तार नहीं पकड़ सकी है। यही वजह है कि बिजली चोरी पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। असल में स्मार्ट मीटर लगने से उपभोक्ताओं को जहां घर बैठे बिजली बिल जमा करने और बिल देखने की सुविधा मिलेगी, वहीं मीटर रीडरों का झंझट खत्म होगा, लेकिन जिस तरह से स्मार्ट मीटर लगाने की प्रगति हैं, उससे यह साबित हो रहा है कि तय समय में इनका लग पाना संभव नहीं है।जिले में पांच लाख बिजली उपभोक्ता हैं। इन उपभोक्ताओं के यहां अभी तक इलेक्ट्रानिक मीटर लगे हैं। इन मीटरों से बिल बनाने के लिए मीटर रखे गए हैं, जो घर बैठे रीडिंग डालकर बिल बना रहे हैं। इससे उपभोक्ताओं को त्रुटिपूर्ण बिल मिल रहे हैं। बिल संशोधन कराने के लिए अभियंताओं के चक्कर काटने पड़ रहे हैं, वहीं बिजली चोरी पर भी अंकुश नहीं लग पा रहा है। इन समस्याओं को देखते हुए अगस्त 2024 में स्मार्ट मीटर लगाने की प्रक्रिया शुरू की गई। शहर में करीब 50 हजार बिजली उपभोक्ता हैं। शहर के बिजली उपभोक्ताओं के यहां मार्च 2025 तक स्मार्ट मीटर लगाए जाने हैं, लेकिन अब तक महज 4507 मीटर लग पाए हैं। ग्रामीण क्षेत्र की हालत बेहद खराबग्रामीण क्षेत्र के उपभोक्ताओं के यहां भी इलेक्ट्रानिक की जगह स्मार्ट मीटर लगने हैं। करीब चाढ़े चार लाख उपभोक्ताओं में अब तक 4200 मीटर लगाए जा सके हैं। ग्रामीण क्षेत्र में मार्च 2026 तक मीटर लगाने का लक्ष्य दिया गया है। फीडर से लेकर ट्रांसफार्मर तक लगाने हैं मीटरउपकेंद्रों से निकले सभी फीडरों और गांवों में लगे ट्रांसफार्मराें में स्मार्ट मीटर लगाए जाने हैं। इससे उपकेंद्र से गांव के ट्रांसफार्मर तक कितनी बिजली लॉस हुई। ट्रांसफार्मर से उपभोक्ताओं के घर के बीच कितनी बिजली खपत हुई। इसका पूरा डाटा स्मार्ट मीटर में रहेगा। इससे अब किस स्तर पर कितनी बिजली चोरी हुई, इसका पूरा डाटा मीटर से उपलब्ध रहेगा। एजेंसियों से मांगेंगे जवाब अधीक्षण अभियंता पावर कॉर्पोरेशन मुकेश कुमार ने कहा कि जिले में स्मार्ट मीटर लगाने की प्रगति धीमी हैं। इसमें तेजी लाने के दिशा निर्देश दिए गए हैं। प्रगति में सुधार नहीं हुई, तो कार्यदायी एजेंसियों से जवाब तलब किया जाएगा।