बाराबंकी- देश में रामराज्य के स्वप्न को साकार करने में जुटी मोदी-योगी सरकार के प्रयासों पर करप्ट बिकाऊ व भाई-भतीजा विवाद में उलझा पूरा सिस्टम, यानी पुलिस प्रशासन से लेकर देश की मंहगी व अंग्रेजी हुकूमत की छवि व हनक वाली स्वयंभू हो चुका न्यायिक सिस्टम भी, पानी फेरता नजर आ रहा है। जनपद में भी इसी वर्ष पुलिस की इसी तरह की लापरवाही में हैदरगढ़ में 22 जुलाई को रतनदीप हत्याकांड, 3 जुलाई को सफदरगंज के भग्गनपुरवा में रंजीत हत्याकांड में भी पीड़ित परिवार की मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से लगाई गुहार में भी पुलिस की हीलाहवाली या कह लें सुविधा शुल्क बदौलत कार्य पद्धति को लेकर शिकायत में यही अभिप्राय छुपा था कि इससे हमलावरों के हौसले इतने बुलंद हुए की जनपद में दो-दो हत्याएं हो गईं। जो समक्ष है। लेकिन फिर भी पुलिस प्रशासन ने को़ई नसीहत नहीं ली हां एक सच्ची खबर बदोसराय थाना क्षेत्र में लिखने पर पत्रकार पर ही प्रदेश सरकार के शासनादेश व सुप्रीमकोर्ट के पत्रकारों को संरक्षण की नसीहत को धता बता खिलाफ मुकदमा ही दर्ज कर संविधान प्रदत्त व्यक्तिक स्वतंत्रता तक को बाधित करने का असंवैधानिक कृत भी डंके की चोट पर अंजाम दिया। जैसा एक बार फिर तब सामने आया जब दुकान व घर में घुसकर पर पूरे परिवार को मारा पीटा तोड़फोड़ लूटपाट पीड़ित परिवार के बताए अनुसार की। लेकिन मौके पर पहुंची 112 डायल ने उल्टा पीड़ित परिवार को ही माती चैकी उठा ले गए और फिर पुलिस ने भी पीटा। लेकिन यह भी नियमानुसार हमलावरों से नहीं पूछा कि दुकान और मकान तो पीड़ितों का है हमलावर वहां क्या कर रहे थे और ना ही सीसीटीवी फुटेज ही देखी। वैसे बता दे पुलिस के पक्षपात का एक कारण यह भी पीड़ितों के बताए अनुसार सामने आया कि हमलावर पक्ष के परिवार का एक सदस्य पुलिस विभाग अंतर्गत जनपद में ही तैनात है। जिसमें से वरिष्ठ अधिकारी के गनर पर भी पीड़ितों पर पट्टा चलाने का आरोप पीड़ि़तों ने लगाया है। यह भी बताया कि अन्य तीन चार लोग और पुलिस महकमें में परिवार के तैनात हैं जिसकी वजह से गलती ना होने पर भी खाकी का भी कोप भाजन बनना पड़ा। बता दें सामने आया मामला थाना देवाॅ क्षेत्रान्तर्गत पुलिस चैकी माती के गांव बड़ा तालाब तिन्दोला का है। जहां के निवासी रामआज्ञा पुत्र मिठाई लाल ने एसपी को शिकायतपत्र पंजीकृत डाक द्वारा प्रेषित करते हुए बताया कि गांव के ही रोहित पुत्र रामू ने 21नवंबर 2024 को सुबह 08 बजे पढ़ने के लिए स्कूल जाते समय रास्ते में उनके 11 वीं के छात्र नाबालिग पुत्र शशि पुत्र राम आज्ञा को अपने दबंग साथियों के साथ मिलकर गाली गलौज करते हुए बुरी तरह माटा पीटा था। जिसपर जब रामा आज्ञा ने रोहित की शिकायत रोहित के पिता रामू से की तो अगले दिन 22 नवंबर को 10रू30 बजे रोहित अपने चाचा श्यामू पुत्र राम सिंगारे व अज्ञात लोगों के साथ लाठी डण्डों से लैस होकर रामआज्ञा के दुकान, जिससे सटा रामआज्ञा का घर भी है, पर पहुंचे और रामआज्ञा सहित परिवार के अन्य लोगों आशीष कश्यप, राज व शशि को मारने पीटने लगे, मोटरसाइकिल तोड़ डाली व परिवारीजनों के बताए अनुसार लूटपाट भी की जिसकी सीसीटीवी फुटेज भी सब कुछ साफ साफ बयान कर रही है। लेकिन मौके पर पहुंची 112 डायल पुलिस से सारी बात बताए जाने पर भी पीड़ित मार खाए रामआज्ञा के पुत्रों आशीष, शशि व राज को माती चैकी उठा ले गई। जहां एक तो नियम व कानून के खिलाफ अपनी खाकी का दुरूपयोग करते हुए एक तो पीड़ितों जिसमें नाबालिग भी शामिल है, की एक तो चिकित्सीय जांच नहीं करवाई और उल्टे पीड़ित की ही पिटाई पुलिस ने ना सिर्फ की बल्कि 151 में पीड़ितों का ही चालान भी कर दिया। वैसे भी बदोसराय वाले मामले में पुलिस के जिस मनोबल कम होने की बात उच्चाधिकारी ने मीडिया पर कार्रवाई को सही ठहराते हुए कही थी शायद वो पुलिस को मनमर्जी करने वाले मनोबल पर ही टिप्पणी रही होगी, क्योंकि हो रही घटनाओं और पुलिस को लेकर पीड़ितों की रायशुमारी तो यही सब बयान कर रही है। अब शायद रामराज्य की परिभाषा जो देश के यशस्वी प्रधानमंत्री व सूबे के तेजतर्रार मुख्यमंत्री मंत्री समझाना चाह रहे हैं जनपद पुलिस ने कलियुग के प्रभाव में उसका उलट ही गांधी के तीन आयकान को हाजिर नाजिर मान समझकर आत्मसात कर लिया है कि मै चाहे ये करूं मै चाहे वो करूं मेरी मर्जी। मर्यादा तो वैसे भी कलियुग में बची ही कहां है।
वैसे पीड़ितों के बताए अनुसार सीओ ने सोमवार को एसपी कार्यालय पर पहुंचने पर पूरी शिकायत सुनी व वीडियो देखकर जांच कर कार्रवाई का आश्वासन दिया। लेकिन सवाल यह है कि जिले के आलाकमान अधिकारी के गनर की पैरवी के आगे क्या सीओ साहब निष्पक्षता बरतेंगे कि नहीं यह सब वक्त बताएगा कि रामराज्य या कुछ और?