मसौली, बाराबंकी- ग्राम देवकलिया मे चल रही श्रीराम कथा मे कथावाचक आलोक सरस् ने श्री राम कथा के अंतिम दिन रावण वध की कथा सुनाई। उन्होंने बताया कि श्रीलंका में पाप और पुण्य के बीच तथा धर्म और अधर्म के बीच युद्ध शुरू हो चुका था। रण में एक-एक कर रावण के सभी पुत्रों व भाइयों का नाश होने लगा। अंततरू जब सेना कम पड़ी तो रावण ने श्री राम प्रभु की सेना को नष्ट करने के लिए छह माह सोने वाले भाई कुंभकर्ण को असमय ही जगाया। यह प्रयास भी निरर्थक साबित हुआ और कुंभकर्ण को भी वीरगति प्राप्त हुई।
कथावाचक आलोक सरस्श् ने कहा कि रावण ने फिर मेघनाद को युद्ध भूमि में भेजा। मेघनाथ के शक्तिबाण से लक्ष्मण बेहोश हो गए। उनका उपचार करने के लिए हनुमान विभीषण के कहने पर सुषेण वैद्य को भवन सहित उठा लाए। उन्होंने सूर्योदय से पहले हनुमान से संजीवनी लाने को कहा। इस पर हनुमान पूरा का पूरा पहाड़ ही उठा लाए। संजीवनी के उपचार से लक्ष्मण को होश आया। इसके बाद उन्होंने मेघनाद का वध कर दिया। आखिर में स्वयं रावण युद्ध भूमि में आया। राम का प्रताप देख वह आकाशमार्ग में पहुंच गया जहां पहुंचकर प्रभु श्री राम ने ब्रह्मास्त्र का प्रयोग कर उसकी नाभि का अमृत सोख लिया और उसका वध कर दिया। रावण वध का प्रसंग सुनते ही भक्तजन भाव-विभोर हो उठे और पूरा आयोजन स्थल प्रभु श्री राम के जयकारों से गूंज उठा