कानपुर – बैंक की सेवाओं से हम सभी जुड़े हैं और अपनी जीवन भर की जमा पूंजी बैंको में रखते हैं और बैंक हमारी जमापूंजी को संभालता है. क्या आपने कभी सुना है कि मरने के बाद हमारे शरीर की अस्थियों को भी कोई बैंक संभाल कर रख सकता है. अगर नहीं तो हम आपको बताते हैं की कानपुर में यूपी का पहला ऐसे बैंक बना है जहां अंतिम संस्कार के बाद बची हुई अस्थियों को संभालकर रखा जाता है. इस बैंक के बनने और अस्थियों को संभालकर रखने के पीछे एक कहानी है.
अस्थि कलश बैंक, उन लोगों के लिए मददगार है जो किसी वजह से मृत व्यक्ति की अस्थियों का विसर्जन नहीं कर पाते. उत्तर प्रदेश के कानपुर में भैरव घाट पर अस्थि कलश बैंक है. यह बैंक, देहदान और नेत्रदान अभियान के प्रमुख मनोज सेंगर ने साल 2014 में स्थापित किया था. इस बैंक में अस्थियों को सुरक्षित रखा जाता है.

देश के तमाम घाटों पर मृत शरीर के अंतिम संस्कार किए जाते हैं और उनकी अस्थियों को गंगा या संगम में ले जाकर विसर्जित भी करते हैं. कानपुर में एक ऐसा बैंक बनाया गया. जहां पैसे नही बल्कि अस्थियों को संभालकर रखा जाता है. लोग अपनों की मृत्यु के बाद उनकी अस्थियों को कलश में रखकर यहां जमा कर देते हैं और भूल भी जाते हैं. ये सुविधा कानपुर के भैरव घाट पर मौजूद है. उत्तर प्रदेश का ये पहला घाट है जहां अस्थियों को एक बैंक में रखा जाता है. यहां कुछ ऐसे भी लोग हैं जो अपनों के अंतिम संस्कार के बाद उन्हें मोक्ष दिलाने के लिए गंगा में अस्थियों को प्रवाहित करना भूल गए हैं.

निशुल्क दी जाती है सुविधा-
यहां अस्थि कलश बैंक में निशुल्क ये सुविधा दी जाती है. जो लोग दूसरे शहरों में रहते हुए अपनों के अंतिम संस्कार में पहुंचते हैं लेकिन समय की कमी या अन्य किसी कारण से उन अस्थियों का विसर्जन नही कर पाते. वे लोग यहां अपनों की अस्थियों को कलश में रखकर बैंक में जमा कर देते हैं. अपना नाम पता लिखकर चले जाते हैं. फिर कुछ लोग इन अस्थियों के विसर्जन को भूल भी जाते हैं तो कुछ लोग सालों में आकर इनका विसर्जन करते हैं.

पितृ पक्ष के समय जहां लोग अपने पितरों को पानी देते हैं उनका पूजन करते हैं तो वहीं इस बैंक में मौजूद तमाम मृत शरीरों की अस्थियां आज भी अपने मोक्ष के लिए इंतजार कर रही हैं कि कब उनका विसर्जन होगा और कब उन्हे पितरों में मिलाया जायेगा. वहीं बैंक का संचालन कर रहे लोगों ने बताया कि, यहां अक्सर लोग अपने मृत लोगों की अस्थियां जमा कर के चले जाते हैं और भूल भी जाते हैं. अक्सर लोग दूर रहने के चलते या समय न मिलने के कारण इन्हें यहां जमा करते हैं और फिर समय मिलने के बाद आकार उन्हे विसर्जित करते हैं. अभी भी लगभग दर्जनों अस्थियां इस बैंक में जमा है.