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धर्म की जीत, ऋतु परिवर्तन और नई फसल आने की खुशी में मनाते हैं होली, जानिए फाल्गुन मास से जुड़ी मान्यताएं

धर्म की जीत, ऋतु परिवर्तन और नई फसल आने की खुशी में मनाते हैं होली, जानिए फाल्गुन मास से जुड़ी मान्यताएं गुरुवार, 13 फरवरी से फाल्गुन मास शुरू हो रहा है, इस महीने की अंतिम तिथि फाल्गुन पूर्णिमा 13 मार्च को है, इसी दिन होलिका दहन भी है। फाल्गुन हिन्दी पंचांग का बारहवां महीना है। इसके लिए चैत्र मास शुरू होता है। इस महीने से ऋतु परिवर्तन होने लगती है। इन दिनों में शिशिर ऋतु खत्म होने लगेगी और वसंत ऋतु शुरू होगी। जानिए फाल्गुन मास से जुड़ी मान्यताएं- फाल्गुन मास की पूर्णिमा पर होली मनाई जाती है, ये पर्व धर्म की जीत, ऋतु परिवर्तन और नई फसल आने की खुशी मनाया जाता है। इस समय में खासतौर पर गेहूं और चने की फसल पक जाती है। फसल पकने की खुशी में पर्व मनाने की परंपरा प्रचलित है। पौराणिक मान्यता है कि इस तिथि पर भक्त प्रहलाद को मारने के लिए होलिका उसे लेकर आग में बैठ गई थी, लेकिन विष्णु कृपा से प्रहलाद तो बच गया, लेकिन होलिका जल गई और धर्म की जीत हुई। ये समय ऋतु परिवर्तन का समय है, वसंत ऋतु के आते ही प्रकृति में नयापन आने लगता है। मौसम न ज्यादा ठंडा रहता है और न ही ज्यादा गर्म रहता है। इन दिनों में मन शांत रहता है। ऐसा मौसम भक्ति और ध्यान के लिए बहुत अच्छा माना जाता है। फाल्गुन रंगों के उत्सव का महीना है। इस मास में रंगों का त्योगार होली मनाया जाता है। इसी महीने में फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी पर शिव पूजा का महापर्व महाशिवरात्रि भी मनाते हैं। इस साल ये पर्व 26 फरवरी को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान शिव का विशेष अभिषेक और शिव जी ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करना चाहिए। विशेष पूजा न कर पाएं तो शिवलिंग पर जल और बिल्व पत्र चढ़ाकर भी सामान्य पूजा की जाती है। फाल्गुन पूजा-पाठ के नजरिए से बहुत खास महीना है। इन दिनों में तीर्थ दर्शन, नदी स्नान, दान-पुण्य, मंदिरों में दर्शन-पूजन करने की परंपरा है। फाल्गुन मास में मथुरा, वृंदावन, ब्रज, गोकुल, बरसाना में लाखों भक्त रंगोत्सव मनाने पहुचंते हैं। फाल्गुन मास में मंत्र जप, ध्यान के साथ ही शिव पुराण, विष्णु पुराण, श्रीमद्भागवत जैसे ग्रंथों का पाठ भी किया जाता है। इस माह में अनाज, वस्त्र, जल, मौसमी फल, जूते-चप्पल, छाता दान करना चाहिए। जरूरतमंद बच्चों को पढ़ाई से जुड़ी चीजें दान कर सकते हैं। रोगियों को दवाइयां और फल दान कर सकते हैं। इस महीने में जो भक्त धर्म लाभ कमाना चाहते हैं, वे अधार्मिक कर्म, क्रोध, ईर्ष्या, झूठ और नकारात्मक विचारों से दूर रहते हैं। भक्तों इन सभी गलत बातों से दूर रहना चाहिए, तभी पूजा-पाठ का पूरा फल मिलता है और भगवान की कृपा से जीवन की परेशानियां दूर होती हैं ।

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