पहाड़ों पर बर्फबारी से सर्दी जानलेवा बन गई है। लगातार अधिकतम तापमान गिरने से सर्दी ने झकझोर दिया है। कड़ाके की सर्दी से लोगों की जिंदगी पर भी असर पड़ा है। बाजारों में भीड़ कम हो गई है। वाहनों की रफ्तार भी धीमी हुई है, जिससे सड़कों पर यातायात का बोझ कम हुआ है। हर जगह लोग सर्दी से बचने के उपाय कर रहे हैं। घरों में हीटर और ब्लोअर चल रहे हैं तो अलाव की व्यवस्था न होने के गरीब निराश्रित लोग कूड़े के ढेर जलाकर सर्दी से बचने का प्रयास कर रहे हैं। पिछले चार दिन से सर्दी मुसीबत बन गई है। न दिन को राहत है और न रात को सर्दी तेवर कम हो रहे हैं। शीतलहर चलने से सुबह भोर पहर सड़क पर निकलना चुनौती भरा है। बीमार पड़ने के डर से लोग सर्दी में एहतियात बरत रहे हैं। मंगलवार साल का सबसे ठंडा दिन रहा। करीब पांच साल बाद साल के आखिरी दिन अधिकतम तापमान 13 डिग्री रहा। इससे पहले 2019 में इसी तरह का सर्दी पड़ी थी। मंगलवार सुबह कोहरे का असर कम रहा, लेकिन गलन अधिक रही। लगातार तीसरे दिन धूप नहीं निकली। धुंध छाई रही। हवा चलने से हड्डी तक को कंपा देने वाली सर्दी से लोग परेशान रहे। रात में भी राहत नहीं है। सबसे अधिक परेशान स्कूली बच्चे हैं। स्कूल कॉलेज अभी बंद नहीं किए गए हैं। छोटे-छोटे बच्चे सुबह कोहरे में स्कूल जाते हैं तो दोपहर में कड़ाके की सर्दी के बीच घर लौटते हैं। मंगलवार को अधिकतम तापमान 13.2 डिग्री तथा न्यूनतम तापमान 12.2 डिग्री रहा। न्यूनतम तापमान सामान्य से पांच डिग्री अधिक रहा तो वहीं अधिकतम तापमान सामान्य से काफी कम रहा। इंदिरा गांधी उड़ान अकादमी फुरसतगंज के मौसम विशेषज्ञ दीतेंद्र सिंह ने बताया कि पहाड़ों पर बर्फबारी का असर तापमान पर पड़ रहा है। अधिकतम तापमान तेजी से गिर रहा है और न्यूनतम तापमान अभी सामान्य से अधिक है। इस कारण मौसम में असंतुलन बना हुआ है। बारिश और पाला पड़ने के आसार है। अधिकतम तापमान सामान्य से बहुत अधिक कम है और न्यूनतम तापमान सामान्य से अधिक है। दिसंबर माह आलू, सरसों, गेहूं की फसल के लिए महत्वपूर्ण होता है। पिछले चार दिनों से जिस तरह तापमान में असमानता है, उससे किसानों को आलू और सरसों की फसल को नुकसान होने की आशंका है। जिला उद्यान अधिकारी जयराम वर्मा के मुताबिक दिन के समय तापमान सामान्य से अधिक होने से आलू की फसल को रोग लगना तय है। आलू की फसल को सामान्य तापमान की जरूरत होती है। तापमान में असंतुलन से फसल को फफूंद रोग लगता है। इससे बचने लिए किसान एक लीटर पानी में फफूंद नाशक दवा का मिश्रण तैयार कर छिड़काव करें।