केंद्र सरकार देश में लंबे समय से रुके जनगणना को कराने की तैयारी शुरू कर दी है. अगले साल से जनगणना शुरू होगी और 2026 तक पूरी करा ली जाएगी. जनगणना पूरी होने के बाद सरकार परिसीमन या डिलीमीटेशन (delimitation) करेगी. इस प्रक्रिया के तहत संसदीय क्षेत्रों को रीड्रॉफ्ट किया जाना है.
सूत्रों के मुताबिक इसके बाद देश में महिला आरक्षण भी लागू होगा. निर्वाचन क्षेत्रों की रीड्रॉफ्टिंग और महिला आरक्षण, ये दोनों प्रक्रियाएं जनगणना से जुड़ी हुईं हैं.

जनगणना को लेकर विपक्ष की है ये मांग —
इस प्रक्रिया के दौरान जाति की गणना होगी या नहीं इस पर चर्चा चल रही है. हालांकि कांग्रेस और उसके सहयोगी दलों के साथ-साथ सत्तारूढ़ NDA में सहयोगी JD(U), लोक जनशक्ति पार्टी और अपना दल द्वारा जाति की गणना को जनगणना में शामिल करने की मांग की जा रही है लेकिन सरकार अब तक इसके लिए कोई ठोस प्लानिंग नहीं कर पाई है.
वहीं भाजपा का वैचारिक सहयोगी RSS भी जाति की गणना के विचार का समर्थन कर रहा है, यह कहते हुए कि सही संख्या प्राप्त करना एक स्थापित प्रथा है. एक अन्य सूत्र का कहना है कि इसे कैसे किया जाए, इस पर कोई स्पष्टता नहीं है. हाल में भारत के रजिस्ट्रार जनरल व जनगणना आयुक्त मृत्युंजय कुमार नारायण के कार्यकाल को दिसंबर 2024 से बढ़ाकर अगस्त 2026 कर दिया.
क्या है परिसीमन?–

परिसीमन किसी देश या राज्य में विधायी निकाय वाले क्षेत्रीय निर्वाचन क्षेत्रों की सीमा तय करने की एक प्रक्रिया है. चुनाव आयोग के मुताबिक परिसीमन का काम एक उच्चाधिकार निकाय को सौंपा जाता है. ऐसे निकाय को परिसीमन आयोग या सीमा आयोग के रूप में जाना जाता है.
बता दें कि साल 2002 में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली NDA सरकार ने 84वें संशोधन के जरिए परिसीमन को 25 साल के लिए टाल दिया था. उस समय केंद्र सरकार ने कहा था यह तब किया जाएगा जब 2026 के बाद पहली जनगणना के आंकड़े सामने आएंगे. जिसका मतलब था कि परिसीमन 2031 की जनगणना के बाद हो सकेगा. सूत्रों के मुताबिक सरकार अब 2027 तक परिसीमन प्रक्रिया शुरू करने और एक साल के भीतर पूरा कराने की तैयारी कर रही है, ताकि 2029 लोकसभा चुनाव परिसीमन के बाद बने नए संसदीय क्षेत्रों के साथ और महिला आरक्षण लागू होने के बाद कराए जा सकें.
परिसीमन को लेकर दक्षिण के राज्य हैं चिंतित—
परिसीमन को लेकर देश के दक्षिण राज्य चिंतित हैं कि इसका राजनीतिक हिस्सेदारी पर क्या असर होगा, क्योंकि संसद में सीटों की संख्या उत्तर से अधिक होगी. दक्षिण के विभिन्न राज्य सरकारों ने इस चिंता को सार्वजनिक रूप से उठाया है. केंद्र की एनडीए सरकार में भाजपा की प्रमुख सहयोगी TDP नेता व आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री ने राज्य में लोगों को अधिक बच्चे पैदा करने के लिए प्रोत्साहित किया है ताकि बुजुर्ग जनसंख्या के प्रभाव को संतुलित किया जा सके.