शामली – वर्तमान समय में तकनीकी शिक्षा जिसे हम स्टेम एजुकेशन कहते हैं यह प्रत्येक विद्यार्थी के लिए बहुत आवश्यक है। नेशनल एजुकेशन पॉलिसी भी स्टेम लर्निंग को पूरी तरह स्कूल में अमल में लाने के लिए जोर डालती है। यह हम सभी जानते हैं जो हम देखते हैं वो भूल जाते हैं और जो हम खुद से बनाते हैं उसे पूर्ण रूप से समझ पाते हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए वर्तमान समय में विद्यार्थियों को पढ़ाई के साथ-साथ तकनीकी कौशल की ट्रेनिंग भी स्कूल में दी जाती है। इस ट्रेनिंग में स्कूल के विद्यार्थियों को क्लास में पढ़ाई जाने वाले विषयों पर स्वम विद्यार्थियों से मॉडल तैयार कराकर उनके ज्ञान को सुदृढ़ बनाते हैं। उक्त उद्गार सेंट. आर. सी. कान्वेंट स्कूल शामली में आयोजित तकनीकी कार्यशाला के अवसर पर स्कूल की प्रधानाचार्या श्रीमती उज्मा ज़ैदी जी ने व्यक्त किए। स्कूल में आयोजित तकनीकी कार्यशाला में हरिद्वार की तकनीकी फाउंडेशन ऑफ इंडिया के मैनेजर मनीष कुमार की 8 इंजीनियर की टीम इंजीनियर करन, इंजीनियर सागर, इंजीनियर नमन, इंजीनियर हिमांशु, इंजीनियर रोहित, इंजीनियर रिया, इंजीनियर पूजा और इंजीनियर सजना ने कक्षा 3 के विद्यार्थियों को पेपर शीट, प्लास्टिक बॉल्स, डबल साइडेड टेप व फॉम पीस की सहायता से चंद्रमा के फेस का मॉडल तैयार कराकर चंद्रमा व उसकी कलाओं के बारे में जानकारी प्रदान करते हुए कहा कि चंद्रमा का वह हिस्सा जो पृथ्वी की तरफ होता है उसे चंद्रमा का फेस कहते हैं और चंद्रमा के चमकीले भाग की विभिन्न आकृतियां जो एक महीने के अंदर दिखाई देती है उन्हें चंद्रमा की कलाएं जाता है चंद्रमा की कलाई सामाजिक जीवन में बहुत महत्वपूर्ण होती है क्योंकि भारत में मनाए जाने वाले सभी त्योहार चंद्रमा की कलाओं के अनुसार मनाए जाते हैं जैसे अमावस्या के दिन दिवाली व पूर्णिमा के दिन होली व अर्धचंद्र दिखने के अगले दिन ईद उल फितर का त्योहार मनाया जाता है। इसी श्रृंखला में इंजीनियर टीम ने कक्षा 5 के विद्यार्थियों को पेपर शीट बेस स्मॉल पेपर शीट, फॉम पीस, वेलक्रो पाइप व कॉटन की सहायता से भारत में अलग-अलग क्षेत्र में पाए जाने वाले वनों का मॉडल तैयार कराकर उनके क्षेत्र में प्रकारों के विषय में जानकारी प्रदान की। सर्वप्रथम फॉम पीस पर बने अलग क्षेत्रों की आकृति पर पेपर शीट पर बने पेड़ों की आकृतियों को फोम शीट पर वेल्क्रो की सहायता से चिपकाकर भारत में पाए जाने वाले वर्षा मानसून, कांटेदार वन, पर्वतीय एवं मैंग्रोव वन की प्रकृति एवं क्षेत्र के विषय में जानकारी प्रदान की। कार्यशाला का संचालन स्कूल प्रधानाचार्या के दिशा निर्देशन में किया गया। इस अवसर पर उन्हें विद्यार्थियों को संबोधित करते हुए कहा कि तकनीकी दौर में विद्यालय में एक्टिविटी बेस्ड लर्निंग शिक्षा के महत्व को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। एक्टिविटी बेस्ड लर्निंग बच्चों के बौद्धिक विकास एवं महत्वपूर्ण सोच व कौशल की नींव रखनी है और भविष्य की चुनौतियों के लिए तैयार करती है इसलिए विद्यार्थियों को आधुनिक तकनीको की प्रत्यक्ष रूप में जानकारी प्रदान करने के लिए तकनीकी वर्कशॉप का आयोजन विद्यालय में किया जाता है।
रिपोर्ट – अजीत कुमार श्रीवास्तव