Chhath Puja 2024: छठ पूजा कब से हो रही है शुरू, डेट, मुहूर्त टाइम और महत्व?

छठ पूजा सूर्य देवता को समर्पित एक प्राचीन हिंदू त्योहार है, जिसे मुख्य रूप से बिहार और उसके आसपास के क्षेत्रों में मनाया जाता है. यह त्योहार चार दिनों तक चलता है और इसमें सख्त उपवास और अनुष्ठान होते हैं.

छठ पूजा एक प्राचीन हिंदू त्योहार है जो सूर्य देव (सूर्य) और छठी मैया (मां शष्ठी) को समर्पित है, जिन्हें सूर्य की बहन माना जाता है.

दीपावली के छह दिन बाद छठ पर्व मनाते हैं. छठ पूजा चार दिनों तक चलता है, जिसमें शुरुआत होती है नहाय-खाय और खरना से. फिर डूबते और उगते सूर्यदेव को अर्घ्य दिया जाता है. इसमें व्रती नदी में कमर तक जल में प्रवेश कर सूर्यदेवता को अर्घ्य देकर उनकी पूजा करते हैं.

यह मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश और नेपाल के कुछ हिस्सों में मनाया जाता है. छठ पूजा चार दिनों तक चलती है और यह सबसे महत्वपूर्ण और कठिन त्योहारों में से एक है, जिसमें सूर्य देव के प्रति आभार व्यक्त करने के लिए सख्त रीति-रिवाज और उपवास शामिल होते हैं.

छठ पूजा का महत्व–

छठ पूजा में सूर्य को ऊर्जा और जीवन का स्रोत माना जाता है, जो हमारे जीवन को रोशन और समृद्ध बनाता है. यह त्योहार सूर्य के प्रति कृतज्ञता और सम्मान का प्रतीक है. माना जाता है कि सूर्य की ऊर्जा बीमारियों को ठीक करने, समृद्धि सुनिश्चित करने और कल्याण प्रदान करने में मदद करती है. भक्त सूर्य और छठी मैया से स्वास्थ्य, समृद्धि और खुशियों के लिए आशीर्वाद मांगते हैं.

छठ पूजा की तारीखें और मुहूर्त

  • नहाय खाय: 5 नवंबर सुबह 6:36 बजे से शाम 5:33 बजे तक
  • खरना: 6 नवंबर सुबह 6:37 बजे से शाम 5:32 बजे तक
  • संध्या अर्घ्य: 7 नवंबर सुबह 6:38 बजे से शाम 5:32 बजे तक
  • उषा अर्घ्य: 8 नवंबर सुबह 6:38 बजे से शाम 5:31 बजे तक

चार दिनों की पूजा का महत्व

नहाय खाय (पहला दिन): पहले दिन शुद्धिकरण और सफाई की प्रक्रिया होती है. भक्त पवित्र नदियों या तालाबों में स्नान करते हैं, खासकर सुबह के समय, और बिना प्याज या लहसुन के एक ही भोजन का सेवन करते हैं. यह शुद्धिकरण प्रक्रिया की शुरुआत होती है.

खरना (दूसरा दिन): इस दिन भक्त सूर्योदय से सूर्यास्त तक बिना पानी के उपवास रखते हैं. शाम को वे प्रसाद तैयार करते हैं, आमतौर पर खीर (गुड़ से बनी चावल की पुडिंग) और चपाती, जिसे परिवार के सदस्यों और पड़ोसियों के साथ साझा किया जाता है. शाम की पूजा के बाद भक्त अपना उपवास तोड़ते हैं.

संध्या अर्घ्य (तीसरा दिन): यह त्योहार का मुख्य दिन होता है. भक्त पूरे दिन बिना पानी के उपवास रखते हैं. सूर्यास्त पर वे नदी के किनारे या तालाब पर इकट्ठा होते हैं और अस्त होते सूर्य को अर्घ्य (प्रार्थना भेंट) देते हैं. इस शाम को पारंपरिक गीत गाए जाते हैं और भक्त जीवन और ऊर्जा के लिए आभार व्यक्त करते हैं.

उषा अर्घ्य (चौथा दिन): अंतिम दिन भक्त सुबह जल्दी उठकर उगते सूर्य को प्रार्थना अर्पित करते हैं. सुबह की पूजा के बाद उपवास तोड़ा जाता है. यह दिन छठ पूजा का समापन करता है, जिसमें लोग शांति, समृद्धि और कल्याण के लिए प्रार्थना करते हैं.

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