शिकायतकर्ता के खिलाफ ही पुलिस की दोगली कार्रवाई पर भड़के अधिवक्ता हुए लामबंद धरने पर बैठे अधिवक्ताओं से मिलने पहुंचे एसडीएम के दबाव में भी नहीं मानें अधिवक्तागण
सिरौलीगौसपुर/टिकैतनगर, बाराबंकी – पुरानी रंजिश को लेकर दो दिन पूर्व अधिवक्ता और उसके गांव के ही विरोधियों के बीच हुई मारपीट के मामले में पुलिस द्वारा की गई एक पक्षीय कार्रवाई से नाराज वकीलों ने तहसील गेट बंद कर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। धरना स्थल पर पहुंची ज्वाइंट मजिस्ट्रेट काव्या सी ने अधिवक्ताओं से प्रदर्शन समाप्त कर पुलिस अधीक्षक से मिलकर समाधान निकालने का आग्रह किया। किन्तु अधिवक्ता उनकी बात से सहमत नहीं हुए। दिन भर चले प्रदर्शन के वावजूद कोई हल नहीं निकला। जिसके बाद अधिवक्ताओं ने संघ की बैठक कर निर्णय लिया कि जब तक हमारे अधिवक्ता की तरफ से मुकदमा दर्ज नहीं किया जाएगा तब तक रोज प्रदर्शन किया जाएगा। गुरुवार को तहसील सिरौलीगौसपुर के अधिवक्ता तहसील के वरिष्ठ अधिवक्ता प्रमोद कुमार शुक्ला के अधिवक्ता पुत्र अंकुश शुक्ला पर हुए हमले के बाद सहादतगंज पुलिस द्वारा पीड़ित अधिवक्ता का मुकदमा न दर्ज करने से आक्रोशित हो गए और तहसील गेट पर ताला लगाकर धरना प्रदर्शन शुरू कर दिया। पुलिस प्रशासन के विरोध में नारे बाजी करते हुए अधिवक्ताओं ने रजिस्ट्री आफिस भी बंद करवा दिया। जिससे बैनामा कराने आए लोग परेशान रहे। वरिष्ठ अधिवक्ता प्रमोद कुमार शुक्ला ने बताया कि 28 जनवरी को उनके अधिवक्ता पुत्र अंकुश शुक्ला को गांव के ही विरोधी विशाल पान्डेय, रमेश चंद्र पाण्डेय, ने फोन कर गांव के बाहर प्लाट पर पुराने विवाद में समझौता करने के लिए बुलाया था। अंकुश शुक्ला प्लाट पर जा रहे थे कि रास्ते में पीछे से विरोधियों ने अंकुश पर कार चढ़ाने का प्रयास किया। अंकुश ने खेतों में भाग कर जान बचाई। इसके बाद सभी विरोधियों ने उसे पकड़ कर मारा-पीटा और विशाल ने कट्टे से अंकुश पर फायर कर दिया जो मिस हो गई। इसके बाद विरोधियों की पकड़ से अपने को छुड़ा कर भाग लिया। जिसका पीछा करते हुए विशाल पान्डेय अपनी ही कार से लड़ गए। पुलिस ने विरोधियों की शिकायत पर मुकदमा दर्ज कर लिया किन्तु अधिवक्ता की शिकायत पर आज तक कार्यवाही नहीं हुई। जिससे अधिवक्ता नाराज हैं। बार एसोसिएशन सिरौलीगौसपुर के महामंत्री दीपक कुमार सिंह बाबा ने बताया कि अधिवक्ता पर हुए हमले के मामले में जब तक रिपोर्ट दर्ज कर कार्रवाई नहीं होगी तब तक हम लोग किसी प्रकार की न्यायिक एवं प्रशासनिक कार्यवाही में भाग नहीं लेंगे। बता दें यह कोई जनपद का पहला मामला नहीं हैं जिसमें प्रशासन स्टाफ को बचाने की जहोद्दहद में सरकार को बदनाम करने से बाज नहीं आ रहा है और सीएम योगी के तमाम बेहतरी व रामराज्य के प्रयासों पर पानी फेरता नजर आ रहा है। एन्टी करप्शन व किसान पर लेखपालों का हमला ताजा उदाहरण है।