मसौली, बाराबंकी – हालीआन प्रोजेक्ट के अन्तर्गत सीमैप के डायरेक्टर डॉ प्रबोध कुमार त्रिवेदी के निर्देशन मे गुरुवार को पंचायत भवन बड़ागांव मे एक दिवसीय किसान गोष्ठी का आयोजन किया गया। सिमैप से वैज्ञानिको ने किसानो को उन्नतिशील पिपरमिंट खेती करने की जानकारी दी। गुरुवार को आयोजित गोष्ठी में कृषि वैज्ञानिक डॉ. अनिल कुमार सिंह ने कहा कि पिपरमिंट की खेती कम समय में अच्छी आमदनी का स्रोत है। जिसका क्रय एवं विक्रय खुले एवं ऑनलाइन प्रतिदिन बाजार भाव के समतुल्य किया जा रहा है। पिपरमिंट एक औषधीय वाली फसल है। उन्होंने बताया कि सिम उन्नति’ नामक मेन्था की इस प्रजाति की फसल 100 से 110 दिनों में तैयार हो जाती है। इस प्रजाति से 75 प्रतिशत मेंथॉल और एक प्रतिशत से ज्यादा सुगंधित तेल प्राप्त किया जा सकता है, जो मेन्था की दूसरी प्रजातियों की अपेक्षा 15-20 प्रतिशत अधिक है। कृषि वैज्ञानिक डाॅ अनिल कुमार सिंह ने मेंथा की जड़ के बारे में मेंथा को कैसे लगाए कैसे उसका पौध तैयार करे कम पानी दे कैसे फसल को तैयार करे आदि के बारे मे किसानो को जागरूक किया।
वैज्ञानिक रक्षपाल सिंह ने मेंथा के लीजे बर्मी कम्पोस्ट खाद बनाने तथा जैविक कटलरी मशरूम की खेती के बारे मे जानकारी देते हुए किसान को बताया कि वो कैसे अपनी आय को बढ़ाए और अपने वातावरण को दूषित होने से बचाए। वहीं डॉ राजेश कुमार वर्मा, डॉ मनोज सेमवाल, प्रधान प्रतिनिधि नूर मोहम्मद ने विचार व्यक्त किया।
इस मौके पर सीमैप के शोधार्थी मयंक श्रीवास्तव,धर्मेन्द्र सिंह वर्मा,अमरेंद्र सिंह,अंकुल वर्मा सहित भारी संख्या मे किसान् मौजूद रहे।