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Part – 21 pm ke pen se bate brahma puran ki अजमीढ़ कि संतानों की जानकारी

अजमीढ़ कि संतानों की जानकारी

लोमहर्षण जी ब्रह्मपुराण सुनाते हुए कहते हैं

सुहोत्र का एक पुत्र था- बृहत। उसके तीन पुत्र हुए-अजमीढ, द्विमीढ और पुरुमीढ।

अजमीढ से नीली के गर्भ से सुशान्ति नामक पुत्र उत्पन्न हुआ। सुशान्ति से पुरुजाति और पुरुजाति से बाह्याश्वका जन्म हुआ।

बाह्याश्व के पाँच पुत्र हुए, जो समृद्धिशाली पाँच जनपदों से युक्त थे। उनके नाम यों हैं- मुद्गल, सृञ्जय, राजा बृहदिषु, पराक्रमी यवीनर तथा कृमिलाश्व। ये पाँचों पुत्र देशों की रक्षा के लिये समर्थ थे इसलिये उनके अधिकार में आये हुए जनपद (1. अ. जा.) पञ्चाल कहलाये। मुद्गल के पुत्र महायशस्वी मौद्गल्य थे।

महात्मा सृञ्जय के पुत्र पञ्चजन हुए। पञ्चजन के सोमदत्त, सोमदत्त के सहदेव और सहदेव के सोमक हुए। सोमक के पुत्र का नाम जन्तु था, जिसके सौ पुत्र हुए। उन सबमें छोटे पृषत थे, जिनके पुत्र द्रुपद हुए। ये सभी आजमीढ तथा सोमक क्षत्रिय कहलाते हैं।

अजमीढ के एक और पत्नी थीं, जिनका नाम था – धूमिनी। रानी धूमिनी बड़ी पतिव्रता थीं। ये पुत्र की कामना से व्रत करने लगीं। दस हजार वर्षों तक अत्यन्त दुष्कर तपस्या करके उन्होंने विधिपूर्वक अग्नि में हवन किया तथा पवित्रतापूर्वक नियमित भोजन करके वे अग्निहोत्र के कुशों पर ही लेट गयीं। उसी अवस्थामें राजा अजमीढने धूमिनीदेवी के साथ समागम किया। इससे ऋक्ष नामक पुत्र की उत्पत्ति हुई। ऋक्ष धूम्र के समान वर्णवाले एवं दर्शनीय पुरुष थे।

ऋक्ष से संवरण और संवरण से कुरु उत्पन्न हुए, जिन्होंने प्रयाग से जाकर (2. अ. जा.) कुरुक्षेत्र की स्थापना की। वह बड़ा ही पवित्र एवं रमणीय क्षेत्र है। कितने ही पुण्यात्मा पुरुष उसका सेवन करते हैं। कुरुका महान वंश उन्हीं के नामपर कौरव कहलाया।

कुरुके चार पुत्र हुए- सुधन्वा, सुधनु, परीक्षित और अरिमेजय। परीक्षित के पुत्र जनमेजय, श्रुतसेन, अग्रसेन और भीमसेन हुए। ये सभी बलशाली और पराक्रमी थे।

जनमेजय के पुत्र सुरथ हुए, सुरथ के विदूरथ, विदूरथ के महारथी ऋक्ष हुए। ये दूसरे ऋक्ष थे। इस सोमवंश में दो जनमेजय नाम के राजा हुए। द्वितीय ऋक्ष के पुत्र भीमसेन थे। भीमसेन से प्रतीप और प्रतीप से शान्तनु, देवापि तथा बाह्निक- ये तीन महारथी पुत्र हुए।

अधिक जानकारी

1. पंचाल – पंचाल, प्राचीन भारत के 16 महाजनपदों में से एक था, जो ऊपरी गंगा के मैदान में स्थित था। यह राज्य दो भागों में बंटा हुआ था। उत्तर पंचाल और दक्षिण पंचाल। उत्तर पंचाल की राजधानी अहिच्छत्र (आधुनिक रामनगर के पास) थी, और दक्षिण पंचाल की राजधानी कांपिल्य थी।

2. कुरुक्षेत्र – कुरुक्षेत्र हरियाणा राज्य में स्थित एक ऐतिहासिक और धार्मिक शहर है। यह दिल्ली से लगभग 160 किलोमीटर उत्तर में स्थित है और राष्ट्रीय राजमार्ग 44 पर स्थित है। कुरुक्षेत्र को महाभारत युद्ध के लिए जाना जाता है, जो यहीं हुआ था।

इस भाग में इतना ही।

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