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भाग 26 pm ke pen se tarot card reading कार्ड – फोर ऑफ वँड्स Card – Four of Wands

टैरो कार्ड – फोर ऑफ वँड्स tarot Card – Four of Wands

कार्ड नंबर : 4 नाम : फोर ऑफ वँड्स सूट: वँड्स

की वर्ड्स-

मांगलिक कार्य, उत्सव, समारोह, खुशहाली, मजेदार आनंदमय समय।

विस्तृत जानकारी-

इस कार्ड के आने पर घर परिवार में, कामकाज की जगह पर उत्सव समारोह का वातावरण होता हैं। मांगलिक कार्य होते हैं। खुशहाली आती हैं। समय मजेदार, आनंदमय व्यतीत होता हैं।

हाँ/ना; यस/नो/मेबी

हाँ; यस

किसी प्रश्न को लेकर हाँ या ना में जवाब चाहिए हो तो जवाब हाँ में होगा। प्रश्नकर्ता का कार्य हो जायेगा।

समय :

कार्य होने का समय कुछ मतभेदों के साथ इस प्रकार हैं-

1. 11 एप्रिल से 20 एप्रिल।

2. 2 मार्च से 21 मार्च में, दो हफ्तों में, स्प्रिंग में कार्य हो सकता हैं।

3. चार दिन में या स्प्रिंग बसंत में, मार्च एप्रिल में कार्य हो सकता हैं।

4. वँड्स सूट अनुसार सूट की वजह से स्प्रिंग सीजन, बसंत ऋतु में, याने मार्च एप्रिल में कार्य हो सकता हैं।

राशि:

इस कार्ड के लिए राशियां मेष, सिंह, धनु मानी जाती हैं।

ग्रह:

इस कार्ड के ग्रह सूर्य, मंगल,गुरु, शुक्र माने जाते हैं।

ग्रह दिशा :

साऊथ ईस्ट, दक्षिण पूर्व आग्नेय। सूर्य दिशा – पूर्व, मंगल दिशा – दक्षिण, गुरु दिशा – ईशान्य।

तत्व : अग्नि।

चक्र: रुट, मूलाधार।

चक्र मंत्र: ‘लं’

स्टोन : कार्नेलियन

मंत्र, उपाय:

आपके धर्म में आप जिस देवी-देवता को मानते हैं उनकी पूजा-प्रार्थना करें।

कुछ उपाय

कोई भी शुभ कार्य जैसे गृहनिर्माण, गृहप्रवेश, षोडश संस्कार, यात्रा आदि के आरंभ में स्वस्तिक मंत्र का उच्चारण किया जाता है। जिससे शुभ कार्य निर्विघ्न संपन्न होता है।

स्वस्तिक मंत्र को पढ़ने के बाद दशों दिशाओं में अभिमंत्रित जल का छींटा डाला जाता है। स्वस्तिक मंत्र में स्वस्ति शब्द का प्रयोग चार बार किया गया है, इसलिए चार बार मंगल और शुभ की कामना से भगवान श्री गणेश का आह्वान किया गया है।

स्वस्तिक मंत्र

स्वस्ति मंत्र या स्वस्तिवचन

ॐ स्वस्ति न इन्द्रो वृद्धश्रवाः।

स्वस्ति नः पूषा विश्वेदाः।।

स्वस्ति नास्तक्ष्यों अरिष्टनेमिः।

स्वस्ति नो बृहस्पतिर्धातु ॥

ॐ शांतिः शांतिः शांतिः।

स्वस्तिक मंत्र शुभ और शांति के लिए लाभकारी होता है। ऐसा माना जाता है कि इससे दिल और दिमाग मिल जाते हैं। मंत्रोच्चारण करते हुए दर्भ से जल के छींटे डाले जाते हैं। और ऐसा माना जाता है कि यह जल पिशाच और वामनस्य को शांत कर रहा है। स्वस्ति मंत्र का पाठ करने की क्रिया ‘स्वस्तिवचन’ कहलाती है।

भगवान विष्णु मंत्र

ॐ मंगलम् भगवान विष्णु मंत्र मंगलम् भगवान विष्णुः, मंगलम् गरुणध्वजः।

मंगलम् पुण्डरी कक्षः, मंगलाय तनो हरिः ॥

मंगलम् भगवान विष्णुः, मंगलम् गरुणध्वजः।

मंगलं पुंडरी कक्षः, मंगलाय तनो हरिः।।

मंगलम भगवान विष्णु मंत्र के लाभ किसी भी शुभ कार्य को शुरू करने से पहले मंत्र का जाप करना चाहिए। विवाह, पूजा, आरती आदि जैसे सभी शुभ अनुष्ठानों पर मंगलम भगवान विष्णु मंत्र का जाप किया जा सकता हैं। इस मंत्र को मंगलाचरण के रूप में भी जाना जाता है और हिंदू देवता के सम्मान, प्रसन्नता, आह्वान और पूजा के लिए की जानेवाली किसी भी पूजा या अनुष्ठान की शुरुआत में इसका पाठ किया जा सकता है।

इस भाग में इतना ही

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