कुंडली के भाव ग्यारह के कारकत्व
इस भाग में हम कुंडली के भाव ग्यारह के कारकत्व जाननेवाले हैं।
ग्यारवें भाव से संबंधित विषय इस प्रकार हैं-
आय, लाभ, समृद्धि, पुत्रवधू, बुद्धि, आशाएं, इच्छाएं, प्रशंसा, बड़ा भाई, बहन, पुत्रवधू,चाचा, मित्र, विशिष्ट सम्मान, अभीष्ट-प्राप्ति, कामनापूर्ति, कार्यसिद्धि, सफलता, बहुत्व, हत्ती, घोड़ा, रत्न, ईश्वर, सत्य, शांति, नई योजना, परामर्श, पैतृक धन, माता की मृत्यु, पुत्र का शत्रु, रोग, रोग मुक्ति, चोट, हिंसा।
इस भाव का कारक ग्रह गुरु है।
ग्यारवें भाव से संबंधित अंग इस प्रकार हैं-
पिंडलियां, बायां हाथ, टखने, बाया कान।
ग्यारवें भाव से संबंधित रोग इस प्रकार हैं-
पिंडलियों में पीड़ा, बाजू में दर्द, चोट।
इस भाग में इतना ही।
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