Saturday, June 21, 2025
spot_img

31.7 C
Delhi
Saturday, June 21, 2025
spot_img

Homeउत्तर प्रदेशसुबह सूर्य को और शाम को चंद्र को चढ़ाएं अर्घ्य, सूर्यास्त के...

सुबह सूर्य को और शाम को चंद्र को चढ़ाएं अर्घ्य, सूर्यास्त के बाद तुलसी के पास जलाएं दीपक

शुक्रवार, 15 नवंबर को कार्तिक मास का अंतिम दिन पूर्णिमा है। इस तिथि को देव दीपावली और त्रिपुरारी पूर्णिमा भी कहा जाता है। कार्तिक पूर्णिमा पर नदी स्नान, दान-पुण्य करने के साथ ही दीपदान करने की भी परंपरा है। माना जाता है कि इस पर्व पर किए गए धर्म-कर्म से अक्षय पुण्य मिलता है। अक्षय पुण्य यानी ऐसा पुण्य, जिसका असर जीवनभर बना रहता है।उज्जैन के ज्योतिषाचार्य पं. मनीष शर्मा के मुताबिक, पौराणिक कथा के अनुसार कार्तिक पूर्णिमा पर भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नाम के असुर का वध किया था, इस वजह से इस तिथि को त्रिपुरारी पूर्णिमा कहते हैं। एक अन्य कथा के अनुसार हिन्दी पंचांग के आठवें महीने में कार्तिकेय स्वामी तारकासुर का वध किया था। इससे प्रसन्न होकर भगवान शिव जी आठवें महीने का नाम कार्तिकेय के नाम पर कार्तिक रखा था।जानिए कार्तिक पूर्णिमा पर कौन-कौन से शुभ काम किए जा सकते हैं कार्तिक पूर्णिमा पर दिन की शुरुआत सूर्य पूजा के साथ करनी चाहिए। सुबह जल्दी उठें और स्नान के बाद सूर्य को तांबे के लोटे से जल चढ़ाएं। जल में फूलों की पत्तियां, चावल, कुमकुम भी डाल लेंगे तो बहुत अच्छा रहेगा। जल चढ़ाते समय ऊँ सूर्याय नम: मंत्र का जप करना चाहिए।पूर्णिमा तिथि पर गणेश पूजन के बाद भगवान विष्णु और महालक्ष्मी का विशेष अभिषेक करना चाहिए। विष्णु-लक्ष्मी का अभिषेक दक्षिणावर्ती शंख से करेंगे तो बहुत शुभ रहेगा। पूजा में ऊँ नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जप करें। तुलसी के साथ मिठाई का भोग लगाएं।  इस दिन शिवलिंग पर जल, दूध और पंचामृत चढ़ाना चाहिए। पंचामृत दूध, दही, घी, मिश्री और शहद मिलाकर बनाना चाहिए। पंचामृत चढ़ाने के बाद फिर से जल चढ़ाएं। बिल्व पत्र, हार-फूल, धतूरा चढ़ाएं। शिवलिंग पर चंदन का लेप करें। ऊँ नम: शिवाय मंत्र का जप करें। दीपक जलाकर आरती करें। पूजा में मिठाई का भोग लगाएं। कार्तिक पूर्णिमा पर पूजा-पाठ के साथ ही जरूरतमंद लोगों को अनाज, कपड़े, जूते-चप्पल, खाना और धन का दान करें। अभी ठंड का समय है तो ऊनी वस्त्रों का दान करेंगे तो बहुत शुभ रहेगा। किसी गौशाला में गायों की देखभाल के लिए हरी घास दान करें। हनुमान जी के मंदिर में दीपक जलाएं। सुंदरकांड और हनुमान चालीसा का पाठ करें। आप चाहें तो हनुमान जी के सामने राम नाम का जप भी कर सकते हैं। शाम को सूर्यास्त के बाद चंद्र उदय के समय चंद्रदेव को अर्घ्य अर्पित करें। चंद्र को चांदी के लोटे से दूध चढ़ाएंगे तो बहुत शुभ रहेगा। चांदी का लोटा न हो तो मिट्टी के कलश से दूध चढ़ा सकते हैं। अर्घ्य देते समय ऊँ सों सोमाय नम: मंत्र का जप करना चाहिए। सुबह तुलसी को जल चढ़ाएं। शाम को तुलसी के पास दीपक जलाएं। तुलसी को लाल चुनरी भी अर्पित करनी चाहिए।

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -spot_img
- Advertisment -spot_img

Most Popular

Translate »
en_USEnglish
Powered by TranslatePress