रामसनेहीघाट, बाराबंकी- नगर पंचायत रामसनेहीघाट के भिटरिया कस्बा में चल रहे रामलीला के दूसरे दिवस में रावण का जन्म होता है। जिससे चतुर्दिक वातावरण जन्म के समय कितना भयावह हो जाता है कि अंधेरा छा जाता है आसमान से रक्त व मांस की बारिश सी होती है। इत्यादी दृष्यों का मंचन कर कलाकारों ने श्रद्धालुजनों को चमत्कृत कर दिया।
जन्म लेने के बाद रावण अपने भाईयों कुंभकरण, विभीषण के साथ घोर तपस्या कर ब्रह्मा जी को प्रसन्न करता है। ब्रह्मा जी से अमरता का वरदान मांगता है।ब्रह्मा जी उसे मनुष्य और वानर के अलावा कोई भी नहीं मार सकता ऐसा अमरता का वरदान रावण को देकर अंतर्ध्यान हो जाते हैं। रावण वरदान पाकर धरती पर खुलेआम अत्याचार करना शुरू कर देता है।और ऋषि मुनियों को सताने लगता है तथा धर्म कार्य यज्ञ आदि में विघ्न बाधा डालना शुरू कर देता है, चारों तरफ अधर्म ही अधर्म होने लगता है ।इसके पश्चात रामलीला में इधर राजा दशरथ पुत्र न होने के कारण अपने राज्यसभा में बड़े चिंतित व उदास बैठे रहते हैं। वशिष्ठ मुनि के मार्गदर्शन से राजा दशरथ श्रृंगी ऋषि से मिलकर पुत्रेष्टि यज्ञ करते हैं।यज्ञ से प्रसन्न होकर अग्नि देव ने राजा दशरथ को खीर देते हैं ।महर्षि के आदेशानुसार राजा दशरथ ने खीर को तीनों रानियों में बाँट दी। माता कौशल्या अपने राजमहल में भगवान विष्णु की पूजा आराधना करती हैं और हरि ने उनके यहां अवतरित होने का आशीर्वाद देते हैं। नगर तथा आसपास के गांव से आकर के रामलीला का मंचन बड़े ही हर्ष के साथ श्रद्धालुगण श्रवणपान कर रहे हैं।
रामलीला में समिति के विजय रंजन यादव, राधेश्याम अग्रवाल, विशाल अग्रवाल, पवन अग्रवाल, अभिषेक, राहुल, नयन,रजत,अजय आदि मौजूद रहे।