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HomeFamous India / हुनर भारत कालौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल अखंड भारत का सपना प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र...

लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल अखंड भारत का सपना प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने पूरा किया

हमारी सनातन संस्कृति में सनातन धर्म में आत्मा अजर और अमर होती है शरीर को नाशवान बताया गया है। इसीलिए आज हम यहां पर कुछ लिखने का साहस कर रहे हैं ऐसे भारत के भारत रत्न महापुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती प्रत्येक वर्ष 31 अक्टूबर को मनाई जाती है क्योंकि इस महापुरुष का जन्म 21 अक्टूबर 1875 को नडियाद जिला गुजरात में एक लेवा पटेल पाटीदार परिवार में हुआ इनके पिता का नाम श्री झवेर भाई और माता का नाम श्रीमती लाडवा देवी था।

यह चौथे नंबर के भाई थे इसे तीन भाई सोम भाई नरसी भाई विट्ठल भाई बड़े थे । लौह इ भारत रत्न महापुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल ने अपने जीवन की अनेक पुस्तक लिखी हैं जिसमें उन्होंने विद्यार्थी जीवन में लिखा है कि संघर्ष ही जीवन है और संघर्ष करने वाला व्यक्ति ही सफलता प्राप्त कर पता है सोने से काम नहीं चलता है सकारात्मक विचारों से उत्तम सपने साकार करने से ही जीवन सफलता की ओर बढ़ता है किसी को लेकर के उन्होंने अध्ययन किया यहां तक की अपने दोस्तों से कुछ घंटे के लिए पुस्तक ले आते थे पढ़कर वापस करती थी जब वह वकील बने तो उनकी हालत बड़ी खराब थी लेकिन उन्होंने किराए से वकालत पढ़ने वाली किताबों को खरीद कर वकालत किया और यह लंदन से पढ़कर उत्तम बैरिस्टर भी बने और अंग्रेजी शासन में ब्रिटिश हुकूमत में उन्होंने बैरिस्टर के रूप में देश और राष्ट्र के लिए अद्भुत कार्य किया है ।

भारत के आंदोलनकारी राजनेताओं के साथ मिलकर उन्होंने एक राजनीतिक संस्था में अनेक पदों पर रहकर काम किया लेकिन उनका राजनीति में आने का कोई उद्देश्य रहा है क्योंकि वह देश की आजादी स्वाधीनता संग्राम सेनानी के रूप में ही देशभक्ति राष्ट्र प्रेम के लिए काम करने में लगे हुए थे । उनकी धर्मपत्नी के निधन हो जाने के बाद उन्होंने अपना आत्मविश्वास नहीं खाया और परिवार की मदद से बच्चों को परिवेश दी लेकिन वह देश की आजादी के लिए आंदोलन करते रहे अनेकों बार जेल गए जेल यात्रा में रहते हुए उन्होंने देश के लिए अनेक पुस्तक भी लिखी हैं जिनका इतिहास में नाम दर्ज है ।। गुजरात में उन्होंने सबसे पहले किसानों के हित में आंदोलन किया और वह दिन 1918 में आया जब किसानों की समस्याओं को लेकर उन्होंने विशाल आंदोलन किया जिसमें उन्हें सफलता प्राप्त हुई और किसानों के लिए वह भगवान के रूप में मददगार साबित हुए उन्होंने भारत में जल स्रोत के लिए भारत का सबसे बड़े तालाब बांध का निर्माण कराया जो इतिहास में दर्ज है सरदार की उपाधि उनको देश की आजादी में जनता के संघर्ष के साथ 1000 महिलाओं के बीच महिलाओं ने उन्हें सरदार की उपाधि देकर सम्मानित किया था और कहा था कि जो साहसी शक्तिशाली प्रमुख व्यक्ति है जिसके पास 100 शेरों जैसा शक्ति का प्रदर्शन आज दिखाई दे रहा है ऐसे को सरदार कहना उचित हो और वहीं से सरदार की उपाधि लगाई गई। देश आजाद हुआ अंग्रेजों ने हिंदुस्तान पाकिस्तान का बंटवारा किया इस समय सरदार वल्लभभाई पटेल और मदन मोहन मालवीय कि भारत में केवल हिंदू लोग ही निवास करेंगे मुसलमान को पाकिस्तान की सरहद भूमि दी गई है तो वहां पर जाएं लेकिन मोहनदास करमचंद गांधी जिन्हें हम महात्मा गांधी के नाम से जानते हैं उन्होंने उसे समय एक उद्घोषणा कर दी जो भी मुसलमान यदि भारत में रहना चाहे तो वह रह सकते हैं और उसी के परिणाम से भारत के तीन राज्य जूनागढ़ हैदराबाद जम्मू कश्मीर गैर शासित राज्य बना दिए गए उसे समय भारत में 565 रियासतें संपूर्ण भारत के 40% भाग में राजा लोग अपनी-अपनी सियासत और रियासत चला रहे थे जिसका आजादी के बाद ब्लैक करना बहुत कठिन था। भारत के राजनेता वल्लभभाई पटेल को भारत का मनोनीत प्रधानमंत्री बनने के लिए तैयार हो गए लेकिन इस समय पुनः महात्मा गांधी ने वल्लभभाई पटेल को प्रधानमंत्री बनने से रॉक उनको समझाया और पंडित जवाहरलाल नेहरू को प्रधानमंत्री बनाया इन्हें उप प्रधानमंत्री बनाया गया और गृहमंत्री बनाया गया । सर्वप्रथम सरदार वल्लभभाई पटेल ने भारत की आजादी के बाद सबसे कठिन काम राजा महाराजाओं का राज्य चिन्ह और रियासत से खत्म करना सबसे चुनौती पूर्ण और संघर्ष वाला काम था लेकिन उन्होंने अपने साहसी आत्मविश्वास और अपने विधि अनुसार शक्ति का उपयोग करते हुए 562 रियासतों का विलय करते हुए भारत को संविधान के दायरे में सभी को लेकर के भारत एक सशक्त देश बना दिया लेकिन उनका सपना अधूरा रह गया और उनके मन में सबसे बड़ी शंका यही थी कि भारत आजाद होने के बाद भी भारत का अभिन्न जम्मू और कश्मीर हैदराबाद जूनागढ़ अभी भी विवाद में है इसलिए उन्होंने भारत के सैनिकों को पूर्ण छूट देकर के हैदराबाद को भी तीन दिन के संघर्ष के बाद नवाब से छीन लिया और जूनागढ़ में जनमत संग्रह कराया जिसमें पाकिस्तान को पराजित होना पड़ा हुआ जूनागढ़ भी भारत में शामिल हो गया सबसे बड़ा भारत का हृदय स्थल जम्मू कश्मीर था जिसको भारत सरकार ने धारा 370 एवं 35 अ के तहत विशेष अधिकार देकर के एक अलग राष्ट्र की तरह अधिकार दिए वह उनका सपना अधूरा रहा और उनकी मृत्यु हो जाने के बाद वह सपना अधूरा ही था लेकिन भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने जैसे ही पहली बार भारत के प्रधानमंत्री का पदभार ग्रहण किया उन्होंने अपने मंत्रिमंडल गृहमंत्री सी अध्यक्ष सभी सेना अध्यक्षों को मीटिंग में लेकर के कश्मीर की सबसे बड़ी समस्या विकराल जो थी जहां पर 5 लाख हिंदुओं का पलायन हो चुका था आए दिन आतंकवादियों को संरक्षण हिंदुओं की हत्या होना आर्मी के सेनन की हत्या होना देश पर पाकिस्तान के लोगों को पनाह मिलना इस समस्या को समाप्त करने के लिए भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने सबसे पहले धारा 370 का समाप्त किया और अन्य धाराएं जो उप धाराएं थी उनको भी खत्म करके एक राष्ट्र एक ध्वज के नीचे सबको लेकर खड़ा कर दिया यह सबसे बड़ा संघर्ष था सबसे बड़ा सरस था।

लेखक- संतोष गंगेले कर्मयोगी नौगांव

सरदार वल्लभभाई पटेल का जो सपना था वह सपना उनके जन्म दिवस 31 अक्टूबर 2019 को जम्मू कश्मीर को और लद्दाख को दो केदो को शासन देश अस्तित्व में आ गए और उनकी आत्मा को शांति प्रदान करने का इससे बड़ा अवसर कुछ भी नहीं था । भारत के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी ने स्टैचू ऑफ यूनिटी जो विश्व की मानी जाती से उसे दो गुनी ऊंची सरदार वल्लभभाई पटेल की एकता मूर्ति जो केवड़िया में सरदार सरोवर बांध के सामने नर्मदा नदी के बीच में स्थापित कराई है इसकी ऊंचाई एक 240 मीटर है जिसमें 58 मी का आधारशिला है और 182 मीटर की मूर्ति ऊंचाई तक ले गई है पर विश्व की सबसे बड़ी मूर्ति है । भारत के महापुरुषों में यदि मातृभूमि देश के लिए अत्यधिक चिंतित और साहसी व्यक्ति रहे वह पंडित मदन मोहन मालवीय और सरदार वल्लभभाई पटेल आज भी इतिहास में सर्वोपरि महापुरुषों में स्वाधीनता संग्राम सेनानियों में गिनी जाती क्योंकि इन्होंने निष्पक्ष और साहस के साथ देश की गुलामी को आजादी में दिलाने में जो संघर्ष इतिहास में पड़ा था उसे पूरा करने के लिए उन्होंने अपने बल बुद्धि विवेक ज्ञान प्रकृति शक्ति को लगा करके देश को आजाद कराया और देश को चौमुखी विकास करने की आधारशिला रखी है जिसको आज भारत सरकार के नरेंद्र मोदी अपने कर कमल से भारत को विश्व गुरु बनाने जा रहे हैं सरदार वल्लभभाई पटेल के कुछ ऐसे कारनामे जिनके बारे में व्यक्ति सुनकर सहन जाता है और चिंतित हो जाता है कि आखिर ऐसे काम असंभव को संभव कैसे कर दिखाया है तो उन्होंने अपनी पुस्तकों में लिखा है कि संघर्ष ही व्यक्ति का आधारशिला होती है संघर्ष करने वाले व्यक्ति को ही सफलता प्राप्त होती है इसलिए संघर्ष करने वाले को कभी भी चिंतित नहीं होना चाहिए चिंता से दूर होना चाहिए क्रोध और नशा से दूर होकर के राष्ट्र देश के लिए समर्पण होकर ईश्वर का ध्यान करके सारे काम करने से सफलता प्राप्त होती हैं उन्होंने जो काम किए हैं उनके विद्यार्थी जीवन से और उनके गृहमंत्री के कार्यकाल तक संपूर्ण काम देश राष्ट्र मानव कल्याण सामाजिक समरसता देश की एकता अखंडता के लिए हुए हैं इसीलिए भारत के भारत सरकार ने अहमदाबाद के हवाई अड्डे का नाम कल्याण किया सरदार वल्लभ भाई पटेल के नाम से गुजरात के वल्लभ विद्यानगर में विश्वविद्यालय खोले गये। भले ही उन्हें 45 साल बाद भारत रत्न का सम्मान दिया गया हो लेकिन वह भारत रत्न के सम्मान के हकदार तो जीवन काल में ही थे लेकिन उनको भारत रत्न पाने में बहुत समय लगा भारत सरकार उनके नाम से जगह-जगह शिक्षण संस्थान मेडिकल कॉलेज हाईवे सड़कों का नाम तमाम विश्वविद्यालयऔर ऐसे काम कर रही रही है जिससे कि भारत का बच्चा-बच्चा यह समझ सके कि सरदार वल्लभभाई पटेल हमारे देश के एक ऐसे महान महापुरुष पुरोधा थे जिन्होंने हजार व्यक्तियों की बुद्धि विवेक को ज्ञान के संग्रह को एकत्रित करते हुए अकेली दम पर वह काम कर दिए हैं जो 1000 बुद्ध की भी नहीं कर सकते थे इसलिए उनकी जन्म तिथि 31 अक्टूबर को हम उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि तभी दे सकते हैं जब उनके जीवन पर उनके इतिहास को पढ़कर हम राष्ट्र प्रेम देश प्रेम देश की एकता अखंडता और मानवता के लिए काम करना शुरू करें हम अपने महापुरुषों को यदि सच्ची श्रद्धांजलि देना चाहते हैं तो हम उनके इतिहास को उनके ग्रंथ को उनकी पुस्तकों को उनके विचारों को जीवन में हम उतार करके एक अच्छे नागरिक सच्चे नागरिक देशभक्त बनने का अवसर हमको मिलता है वह भारत के प्रजातंत्र में निर्वाचन प्रक्रिया को नहीं देख सके और उनका निधन 15 दिसंबर 1950 को हो गया है लेकिन उनकी आत्मा अजर है अमर है और उनकी आत्मा को तभी हम सच्ची श्रद्धांजलि देंगे जब हम मिलकर के सभी भारत के सनातन संस्कृति संस्कारों को बचाने के लिए देश की एकता और अखंडता बना रखने की एकजुट के साथ राष्ट्रीय अध्यक्ष को प्रणाम करते हुए उनको श्रद्धांजलि प्रदान करें।

लेखक- संतोष गंगेले कर्मयोगी नौगांव

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