प्रतिबंधित दवाओं की बिक्री पर प्रशासन की चुप्पी: जिम्मेदारों की मिलीभगत उजागर जिला मुख्यालय पर नशे का कारोबार धड़ल्ले से जारी जिले में प्रतिबंधित दवाओं की खुलेआम बिक्री ने एक बार फिर प्रशासनिक व्यवस्था की पोल खोल दी है। हाल ही में सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो ने इस गंभीर समस्या को उजागर किया है, जिसमें नबीगंज स्थित इंडियन मेडिकल स्टोर पर बिना डॉक्टर की पर्ची के नशीली दवाओं का धंधा करते हुए साफ देखा जा सकता है। यह वीडियो देखते ही देखते वायरल हो गया, और प्रशासन के जिम्मेदार अधिकारियों के लिए यह शर्मनाक स्थिति बन गई। पूर्व में हुई कार्रवाई मात्र दिखावा कुछ माह पूर्व भी नबीगंज व पीरबटावन क्षेत्र के मेडिकल स्टोर्स पर नशीली दवाओं की बिक्री के कई मामले सामने आए थे। शशी औषधालय व जायसवाल मेडिकल स्टोर पर प्रशासन ने दिखावे के लिए छापेमारी की थी, लेकिन यह कार्रवाई केवल खानापूर्ति साबित हुई। इसके बाद भी नशे का यह कारोबार बदस्तूर जारी है। सूत्रों की मानें तो इंडियन मेडिकल स्टोर के ठीक सामने स्थित एक अन्य मेडिकल स्टोर पर भी खुलेआम नशीली दवाएं बेची जा रही हैं। हैरान करने वाली बात यह है कि इस मेडिकल स्टोर के मालिक के पिता पुलिस विभाग में कार्यरत हैं। यही वजह है कि प्रशासन उन पर कोई ठोस कार्रवाई करने से बच रहा है। प्रशासन की भूमिका पर सवाल इस गंभीर मुद्दे पर प्रशासन की चुप्पी और नाकामी ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। क्या प्रशासन जानबूझकर इस नशे के कारोबार को बढ़ावा दे रहा है? क्या भ्रष्टाचार ने जिले के अधिकारियों को नकारा बना दिया है? इन सवालों के जवाब मांगने का वक्त आ गया है। औषधि विभाग की भूमिका संदिग्ध
औषधि विभाग पर भी इस समस्या को नजरअंदाज करने के आरोप लग रहे हैं। विभाग की जिम्मेदारी है कि प्रतिबंधित दवाओं की बिक्री पर सख्ती से रोक लगाए, लेकिन अब तक उनकी ओर से कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। नशीली दवाओं की बिक्री न केवल युवाओं को बर्बाद कर रही है, बल्कि यह समाज और प्रशासन की नाकामी को भी उजागर कर रही है। अब समय आ गया है कि प्रशासन इस गंभीर समस्या को गंभीरता से लेते हुए ठोस कदम उठाए। वरना यह मुद्दा और विकराल रूप ले सकता है।
रिपोर्ट – सर्वेन्द्र चौहान