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राजनीति में सादगी व शुचिता के पर्याय थे मार्कण्डेय चंद: राजनाथ

बारांबकी- प्रखर समाजवादी नेता और पूर्व मंत्री पूर्व मंत्री मार्कण्डेय चंद की 10वीं पुण्यतिथि सोमवार को गांधी भवन में स्मृति सभा आयोजित हुई। लोगों ने उनके चित्र पर पुष्प अर्पित कर श्रद्धांजलि दी और उनके जीवन और कार्यों पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे गांधीवादी अध्येता राजनाथ शर्मा ने कहा कि मार्कण्डेय चंद दूरदर्शी सोच के नेता थे। उनके जैसी सादगी व राजनीति में शुचिता अब कम ही देखने को मिलती है। वह संबंधों का निर्वाह करने में आगे रहते थे। विकास के प्रति उनकी सोच ने ही उन्हें महान बनाया। ऐसे नेताओं के पदचिन्हों पर चलने से ही समाज में समरसता आएगी। श्री शर्मा ने आगे कहा कि मार्कण्डेय चंद प्रभावशाली राजनेता थे। वह कई बार विधायक और मंत्री रहे। उनकी राजनीति में समाजवादी विचारधारा की झलक दिखाई पड़ती थी। वह पूर्व प्रधानमंत्री चन्द्रशेखर और जॉर्ज फर्नांडिस के निकटम मित्रों में रहे। वे गांव-गरीब व किसान के हित में आजीवन कार्य करते रहे। उनकी सोच में अंतिम व्यक्ति का जीवन परिवर्तन ही विकास था। उनके बेटे सीपी चंद ने अपने पिता की सियासत को आगे बढ़ाते हुए राजनीति में अलग पहचान बनाई है। मार्कण्डेय चंद की तरह उनका भी गांधी ट्रस्ट की गतिविधियों और गांधी जयंती के कार्यक्रमों में विशेष सहयोग और मार्गदर्शन रहता है। सभा में शिक्षाविद एवं समाजसेवी अशोक शुक्ला ने कहा कि मार्कण्डेय चंद सच्चे मायने में विकास पुरुष थे। उन्होंने पूरे जीवन काल में वह क्षेत्र की जनता के हितों के लिए संघर्ष करते रहे, इसकी चर्चा आज भी होती है। कार्यक्रम में मुख्य रूप से विनय कुमार सिंह, मृत्युंजय शर्मा, सत्यवान वर्मा, पाटेश्वरी प्रसाद, सियाराम वर्मा, रामू रावत, राजू सिंह ने श्रद्धांजलि देकर उनको याद किया।

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