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श्रीमद्भागवत कथा के द्वितीय दिवस पर राजा परिक्षित और शुकदेव जी का सुनाया गया संवाद

हैदरगढ़, बाराबंकी – सुबेहा क्षेत्र के पूरे मिश्रन मजरे जमीन हुसैनाबाद में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के दूसरे दिन बुधवार को कथा व्यास राजकिशोर मिश्रा ने राजा परीक्षित संवाद, शुकदेव जन्म सहित अन्य प्रसंग सुनाया। कथा व्यास ने शुकदेव परीक्षित संवाद का वर्णन करते हुए कहा कि एक बार परीक्षित जी वन में चले गए। उनको प्यास लगी तो समीक ऋषि से पानी मांगा। ऋषि तपस्या में विलीन थे। इसलिए पानी नहीं पिला सके। परीक्षित ने सोचा कि साधु ने हमारा अपमान किया है। उन्होंने मृत सांप उठाया और समीक ऋषि के गले में डाल दिया। यह सूचना पास में खेल रहे बच्चों ने समीक ऋषि के पुत्र को दी। ऋषि के पुत्र ने श्राप दिया कि आज से सातवें दिन तक्षक नामक सर्प आएगा और राजा को जलाकर भस्म कर देगा। समीक ऋषि को जब यह पता चला तो उन्होंने दिव्य दृष्टि से देखा कि यह तो महान धर्मात्मा राजा परीक्षित हैं और यह अपराध इन्होंने कलियुग के वशीभूत होकर किया है। समीक ऋषि ने जब यह सूचना जाकर परीक्षित महाराज को दी तो वह अपना राज्य अपने पुत्र जन्मेजय को सौंपकर गंगा नदी के तट पर पहुंचे। वहां बड़े ऋषि, मुनि देवता आ पहुंचे और अंत में व्यास नंदन शुकदेव वहां पहुंचे। शुकदेव को देखकर सभी ने खड़े होकर उनका स्वागत किया। कथा सुनकर श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो गए। कथा के दौरान भजनों पर  जमकर झूमें। कथा पंडाल में मुख्य यजमान कृष्ण कुमार यादव व माधुरी देवी, राजेश यादव, बृजेश यादव, प्रमोद गुप्ता, शैलेन्द्र मिश्रा, संत प्रकाश, श्रीनरेश मिश्रा,बद्री गुप्ता,अरूण कुमार, सुनील यादव सहित सैकड़ों भक्तगण उपस्थित रहे।

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