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गणेश चतुर्थी २०२४ – गणपति स्थापना, पूजा-व्रत एवं नियम

इस साल गणेश चतुर्थी का पावन पर्व 7 सितंबर दिन शनिवार को है. इस दिन महाराष्ट्र में 10 दिनों का गणेश उत्सव प्रारंभ होता है, जिसका समापन अनंत चतुर्दशी के दिन होता है. गणेश चतुर्थी को भाद्रपद विनायक चतुर्थी भी कहते हैं क्यों​कि यह भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी तिथि को होती है. इस बार गणेश चतुर्थी के अवसर पर रवि योग सुबह 06:02 बजे से बन रहा है. इस योग में सभी प्रकार के दोष मिट जाते हैं. वहीं सर्वार्थ सिद्धि योग भी दोपहर 12:34 बजे से बनेगा. इस साल गणेश चतुर्थी के दिन आप भी अपने घर पर गणपति स्थापना करना चाहते हैं, व्रत रखकर भगवान गणेश जी की पूजा करना चाहते हैं तो आपको पूजा और व्रत के नियमों के बारे में जानना चाहिए.

गणेश चतुर्थी 2024: पूजा और व्रत के 10 नियम-

1. गणेश चतुर्थी के दिन गणपति स्थापना के लिए मिट्टी से बनी मूर्ति का चयन करना उत्तम रहता है. उसमें भी आपको बाएं तरफ मुड़ी हुई सूंड वाली गणेश मूर्ति लेनी चाहिए. ऐसा इसलिए कि वामावर्ती सूंड वाली गणेश मूर्ति की पूजा विधि सरल होती है, जबकि दाएं तरफ मुड़ी सूंड वाली मूर्ति की पूजा कठिन होती है और उसमें आपको सभी विधियों का सही तरीके से पालन करना होता है. इसकी पूजा किसी ​पुरोहित से ही करानी पड़ती है, जबकि वामावर्ती सूंड वाले गणेश जी की पूजा कोई भी कर सकता है.

2. गणेश जी की मूर्ति सुंदर नैन-नक्श वाली होनी चाहिए. उसमें उनकी आंखें, सिर, हा​थ, पैर आदि सही से बने होने चाहिए. इस बार का भी ध्यान रखें कि मूर्ति खंडित न हो. खंडित मूर्ति की पूजा वर्जित है. इससे दोष लगता है. मूर्ति में उनका वाहन मूषक भी होना चाहिए.

3. गणेश चतुर्थी को मूर्ति और कलश स्थापना के लिए अभिजीत मुहूर्त अच्छा माना जाता है. इस साल चतुर्थी पर अभिजीत मुहूर्त 11:54 बजे से दोपहर 12:44 बजे तक है

.4. गणेश जी की पूजा के लिए लाल फूल, गेंदे के फूल, माला, मोदक, दूर्वा, अक्षत्, सिंदूर, पंचामृत, पान का पत्ता, सुपारी, कलश, यज्ञोपवीत, वस्त्र आदि की व्यवस्था कर लेनी चाहिए.

5. इस साल गणेश चतुर्थी की पूजा का शुभ मुहूर्त दिन में 11 बजकर 3 मिनट से दोपहर 01 बजकर 34 मिनट तक है.

6. व्रत रखते हैं तो सुबह में स्नान करने के बाद व्रत और पूजा का संकल्प करें. शुभ मुहूर्त में गणेश जी की पूजा करें. गणपति महाराज को मोदक और दूर्वा अवश्य चढ़ाना चाहिए. यह आवश्यक सामग्री है.

7. गणेश जी पूजा का मंत्र ओम गं गणपतये नमो नम: है. इसमें गणेश जी का बीज मंत्र गं भी शामिल है. इसे गणेश जी का मनोकामना पूर्ति मंत्र भी कहते हैं. यदि मंत्र याद नहीं है तो आप गणेश चालीसा ही पढ़ लें. व्रत कथा पढ़ने के बाद आरती भी जरूर करें.

8. गणेश चतुर्थी के दिन चंद्रोदय सुबह 09:30 बजे होगा और चंद्रास्त रात 08:45 बजे होगा. ऐसे में आपको चंद्रमा का दर्शन नहीं करना है.

9. व्रत का पारण अगले दिन यानी 8 सितंबर को सूर्योदय के बाद यानी सुबह 06:03 बजे के बाद कर सकते हैं.

10. पारण करने से पूर्व स्नान और दान जरूरी है. उस दिन किसी ब्राह्मण को दान और दक्षिणा दें. फिर पारण करें.

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