शनिवार, जून 21, 2025
spot_img

28.7 C
Delhi
शनिवार, जून 21, 2025
spot_img

होमNewsदोषसिद्धि के बाद भी धारा 147 के तहत अपराधों को समन कर...

दोषसिद्धि के बाद भी धारा 147 के तहत अपराधों को समन कर सकता है: हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट केस टाइटल- सतवीर सिंह बनाम राजेश पठानिया

हिमाचल प्रदेश हाईकोर्ट ने फैसला सुनाया कि परक्राम्य लिखत अधिनियम, 1881 (Negotiable Instruments Act) (NI Act) की धारा 147 के तहत न्यायालय द्वारा दोषसिद्धि दर्ज किए जाने के बाद भी अपराधों को समन किया जा सकता है।

जस्टिस संदीप शर्मा ने भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, 2023 (BNSS) की धारा 528 के तहत याचिका पर सुनवाई करते हुए यह फैसला सुनाया, जिसे NI Act की धारा 147 के साथ पढ़ा गया।

याचिकाकर्ता ने एक्ट की धारा 138 के तहत अपराध के समन की मांग की और अनुरोध किया कि न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी, शिमला द्वारा लगाए गए दोषसिद्धि के फैसले और सजा के आदेश को रद्द किया जाए।

जस्टिस शर्मा ने कहा, “यह अदालत एक्ट की धारा 147 के तहत शक्ति का प्रयोग करते हुए उन मामलों में भी अपराध के शमन की कार्यवाही कर सकती है, जहां आरोपी दोषी ठहराया गया हो।”

अदालत ने कानून के तहत दी गई लचीलेपन पर और विस्तार से बताया, इस बात पर जोर देते हुए कि धारा 147 का उद्देश्य औपचारिक दोषसिद्धि दर्ज होने के बाद भी वित्तीय मामलों में विवादों के निपटारे को सुगम बनाना है। यह मामला NI Act की धारा 138 के तहत शिकायतकर्ता द्वारा शुरू की गई कार्यवाही से उत्पन्न हुआ, जिसमें आरोप लगाया गया कि याचिकाकर्ता ने चेक जारी किया, जो अपर्याप्त धन के कारण बाउंस हो गया था।

याचिकाकर्ता को दोषी ठहराए जाने और कारावास की सजा सुनाए जाने तथा मुआवजा देने का आदेश दिए जाने के बाद उसने शिकायतकर्ता के साथ समझौता किया तथा मामले को कम राशि पर सुलझाया।

इसके बाद याचिकाकर्ता ने इस समझौते के आलोक में अपराध को कम करने के लिए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया।

अपने निर्णय के समर्थन में न्यायालय ने कई प्रमुख उदाहरणों का हवाला दिया। दामोदर एस. प्रभु बनाम सैयद बाबालाल एच., (2010) का निर्णय महत्वपूर्ण था, क्योंकि इसने इस सिद्धांत को बरकरार रखा कि धारा 138 के तहत अपराधों को किसी भी स्तर पर कम किया जा सकता है, जिसमें दोषसिद्धि के बाद भी शामिल है।

न्यायालय ने के. सुब्रमण्यन बनाम आर. राजथी, (2010) का भी हवाला दिया, जहां सुप्रीम कोर्ट ने पुष्टि की थी कि NI Act की धारा 147, जब दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 320 के साथ संयोजन में पढ़ी जाती है तो दोषसिद्धि के बाद अपराधों को कम करने की अनुमति देती है।

इसके अलावा, जस्टिस शर्मा ने नरेश कुमार शर्मा बनाम राजस्थान राज्य में राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले का हवाला दिया, जिसमें दोषसिद्धि के बाद समझौते के बाद दोषसिद्धि को वापस लेने की अनुमति दी गई। इस मामले ने इस दृष्टिकोण को पुष्ट किया कि न्यायालयों के पास दोषसिद्धि के बाद भी अपराधों को कम करने की छूट है, जिससे आपसी समझौते के माध्यम से वित्तीय विवादों के निपटारे को बढ़ावा मिलता है।

संबंधित तथ्यों की समीक्षा करने पर न्यायालय ने याचिकाकर्ता के खिलाफ पहले दर्ज की गई दोषसिद्धि और सजा रद्द कर दी। ऐसा करते हुए न्यायालय ने पक्षों के बीच हुए समझौते को स्वीकार किया और अपराध को कम करने के अनुरोध को स्वीकार कर लिया।

RELATED ARTICLES

कोई जवाब दें

कृपया अपनी टिप्पणी दर्ज करें!
कृपया अपना नाम यहाँ दर्ज करें

- Advertisment -spot_img
- Advertisment -spot_img

Most Popular

Translate »
hi_INहिन्दी
Powered by TranslatePress