दिल्ली हाईकोर्ट ने UAPA मामले में PFI नेता शाहिद नासिर को अंतरिम जमानत देने से किया इनकार

दिल्ली हाईकोर्ट ने UAPA के तहत NIA द्वारा दर्ज मामले में पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) के नेता शाहिद नासिर को अंतरिम जमानत देने से इनकार किया। केस टाइटल: शाहिद नासिर बनाम एनआईए

जस्टिस प्रतिभा एम सिंह और जस्टिस रजनीश कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने कहा कि अंतरिम जमानत के लिए आवेदन पहले स्पेशल NIA अदालत के समक्ष पेश किया जाना चाहिए।

अदालत ने कहा, “इस अदालत ने मामले के गुण-दोष पर विचार नहीं किया है। स्पेशल कोर्ट जिसके समक्ष ऐसा आवेदन पेश किया जा सकता है। इस अदालत के समक्ष अपील के लंबित रहने के बावजूद कानून के अनुसार उस पर विचार करने के लिए स्वतंत्र है।”

नासिर ने 02 अप्रैल से 05 अप्रैल तक अपनी भतीजी की शादी समारोह में शामिल होने के लिए कर्नाटक की यात्रा करने के लिए अंतरिम जमानत मांगी थी।

पिछले साल 07 सितंबर को निचली अदालत ने उनकी नियमित जमानत याचिका खारिज कर दी थी। अंतरिम जमानत के लिए आवेदन उनकी लंबित अपील में पेश किया गया, जिसमें ट्रायल कोर्ट द्वारा नियमित जमानत देने से इनकार करने को चुनौती दी गई।

NIA की ओर से पेश SPP राहुल त्यागी ने इस आधार पर अंतरिम जमानत याचिका की स्थिरता को चुनौती दी कि हाईकोर्ट NIA Act की धारा 21 के तहत अपीलीय क्षेत्राधिकार का प्रयोग कर रहा था।

उन्होंने प्रस्तुत किया कि किसी अन्य कारण से जमानत मांगने वाला मूल आवेदन, या ऐसी घटनाएं जो आवेदन के खारिज होने के बाद हुईं, जिस पर विशेष न्यायालय द्वारा पहले विचार किया गया था, पहले ट्रायल कोर्ट के समक्ष ही पेश किया जाना चाहिए, न कि हाईकोर्ट के समक्ष।

न्यायालय ने नोट किया कि यह विवादित नहीं है कि हाईकोर्ट NIA Act की धारा 21 के तहत अपीलीय क्षेत्राधिकार का प्रयोग कर रहा था।

उन्होंने कहा कि अंतरिम जमानत पर विचार करने के लिए भतीजी की शादी का आधार एक बाद की घटना थी यानी नासिर की नियमित जमानत याचिका के अस्वीकार होने के बाद। खंडपीठ ने कहा कि इस न्यायालय द्वारा इस आवेदन पर विचार करने से दोनों पक्षों में से कोई भी धारा 21 के तहत अपील से वंचित हो सकता है।

“इस न्यायालय की राय है कि आई.जी. राष्ट्रीय जांच एजेंसी एवं अन्य बनाम मोहम्मद हुसैन एवं अन्य (सुप्रा) के माध्यम से आंध्र प्रदेश राज्य में सुप्रीम कोर्ट के निर्णय के बाद अंतरिम जमानत के लिए आवेदन पहले विशेष NIA कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत किया जाना चाहिए।”

FIR में आरोप लगाया गया कि विभिन्न PFI सदस्य कई राज्यों में आतंकवादी कृत्यों को अंजाम देने के लिए भारत और विदेशों से धन एकत्र करने की साजिश रच रहे थे। इसमें यह भी आरोप लगाया गया कि PFI सदस्य ISIS जैसे प्रतिबंधित संगठनों के लिए मुस्लिम युवाओं को कट्टरपंथी बनाने और भर्ती करने में शामिल हैं।

FIR भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 120बी और 153ए और गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम, 1967 की धारा 17, 18, 18बी, 20, 22बी 38 और 39 के तहत दर्ज की गई।

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