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HomeLaw/ कानूनभेड़िये को मारने या पालने दोनों में मिलेगी कड़ी सजा

भेड़िये को मारने या पालने दोनों में मिलेगी कड़ी सजा

भेडिये को मारना दंडनीय अपराध है , इसके लिए 05 साल की सजा हो सकती है इस जानवर को पालतू बनाना और भी गंभीर अपराध माना जाता है वैसे भेड़िए को मारने पर अब तक भारत में किसी को कोई सजा अब तक नहीं हुई है

यूपी में पिछले करीब एक महीने से बहराइच जिले के कुछ गांवों में भेड़ियों का आतंक है. ये 9 के आसपास छोटे बच्चों को शिकार बना चुके हैं तो एक महिला पर भी हमला करके उसे बुरी तरह घायल कर चुका है लेकिन क्या आपको मालूम है कि सामान्य हालात में भेड़ियों को मारना ने केवल दंडनीय अपराध है बल्कि अगर आप उन्हें पालतु बनाकर पाल रहे हैं तो भी अपराध कर रहे हैं.

वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 – 

इस अधिनियम की अनुसूची 1 के तहत भेड़ियों को संरक्षित प्रजातियों के रूप में वर्गीकृत किया गया है, जिससे उन्हें पालतू जानवर के रूप में रखना अवैध हो गया है. ऐसा करने पर कारावास और जुर्माना हो सकता है.

पशु क्रूरता निवारण अधिनियम, 1960 –

 यह अधिनियम जानवरों के प्रति क्रूरता पर रोक लगाता है, जिसमें भेड़िये जैसे जंगली जानवरों को कैद में रखना भी शामिल है. इसमें भी इसे क्रूरता मानते हुए जुर्माना और कारावास का प्रावधान है

सवाल – किस कानून के तहत भेड़ियों का मारना अपराध है?–

भारत में वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 के तहत भेड़ियों को मारना गैरकानूनी है और कोई ऐसा करता है तो ये अपराध है. ऐसा इसलिए है, क्योंकि– भेड़िये भारतीय कानून के तहत संरक्षित हैं– भारतीय ग्रे वुल्फ उसी कैटेगरी में है, जिसमें बाघ को रखा जाता है यानि वो अत्यधिक लुप्तप्राय जानवर हैं– भेड़ियों को वन्यजीव संरक्षण अधिनियम 1972 की अनुसूची 1 के तहत संरक्षित किया गया है, जो उन्हें उच्चतम स्तर की सुरक्षा प्रदान करता है

.सवाल – अगर कोई व्यक्ति भेड़िये को मार देता है तो उसको क्या सजा मिलेगी?

– भारतीय दंड संहिता की धारा 428 और 429 में जानवरों को मारने, जहर देने, अपंग करने या बेकार करने के लिए सजा का प्रावधान है.– जानवरों के साथ क्रूरतापूर्वक व्यवहार करने पर 500 रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है– प्रथम दोषसिद्धि पर 10-50 रुपए का जुर्माना हो सकता है. तीन साल के भीतर दोबारा दोषी पाए जाने पर 1000 रुपये का जुर्माना लगाया जा सकता है, साथ ही तीन महीने की कैद या दोनों सजा हो सकती है.

सवाल – क्या धार्मिक प्रथाओं के लिए भी किसी वन्य जंतु को मारा जा सकता है?


– ये विवादास्पद जरूर है लेकिन जनजातीय समूहों और किसी भी समुदाय के धर्म के अनुसार आवश्यक तरीके से किसी जानवर को मारना अपराध नहीं है. इसे पशु क्रूरता निवारण अधिनियम की धारा 28 के तहत किया जा सकता है. इसी के तहत भारत में धर्मों और परंपराओं की विविधता को देखते हुए इस धारा को अनिवार्य माना गया.
भारत में भेड़ियों को मारना गैरकानूनी है, अगर कोई ऐसा करता है तो इसमें जुर्माना और कारावास दोनों है, सिवाय उन मामलों को छोड़कर जहां धार्मिक प्रथाओं के लिए यह आवश्यक है. भेड़िये एक संरक्षित प्रजाति हैं. उनका शिकार सख्त वर्जित है.

सवाल – क्या भेड़िये को पालतू जानवर के तौर पर घर में रखा जा सकता है या पाला जा सकता है?


– नहीं, बिल्कुल नहीं. भारत में भेड़िये को पालतू जानवर के रूप में रखना गैरकानूनी है. अगर कोई ऐसा करता है तो वन्यजीव संरक्षण और पशु कल्याण के उद्देश्य से कई कानूनों के तहत इसमें गंभीर दंड का प्रावधान है. सजा और दंड मुख्य तौर पर दो धाराओं के तहत दिए जाते हैं.

सवाल – अगर कोई शख्स भेड़िये को पालतू बनाकर पाल रहा है तो उसको क्या सजा मिल सकती है?

– वन्यजीव संरक्षण अधिनियम से संबंधित कानून को तोड़ने के लिए उसको पांच साल तक के जेल की सजा हो सकती है. जुर्माना तो होगा ही. इसमें 75,000 रुपए तक हो सकता है.

सवाल – अब तक भेड़िये को मारने या पालतु बनाने के लिए किसी पर सजा हुई है?

– ऐसा कोई मामला अब तक भारत में सामने नहीं आया है. लिहाजा किसी को भी ऐसे मामले में सजा होने या आर्थिक दंड मिलने का कोई रिकॉर्ड नहीं है.

सवाल – देश में हर साल कितने भेड़िये मारे जाते हैं?
– इसकी कोई तय संख्या तो सामने नहीं आई है कि हर साल कितने भेड़िए मार दिए जाते हैं लेकिन ब्रिटिश राज में बड़े पैमाने पर भेड़िये स्थानीय शासन द्वारा मारे गए. एक आंकड़े के अनुसार 1871 से 1916 तक एक लाख से ज्यादा भेड़िये मार दिए गए.
उत्तर प्रदेश में अब भेड़ियों की संख्या 100 से भी कम होगी और पूरे देश में इनकी तादाद 3000 से ज्यादा नहीं है.

सवाल – बहराइच में जिस तरह से भेड़िए को मारने का आदेश दिया गया है, वो किस कानून के तहत है, ये आदेश कौन दे सकता है?

– अगर भेड़िया आदमखोर हो जाए और मनुष्यों की आबादी के लिए खतरा बन जाए तो उसे मारने का आदेश दिया जा सकता है, सरकार के पास जानवर को जब्त करने, जब्त करने या नष्ट करने की शक्ति है. इसे पशु क्रूरता निवारण अधिनियम की धारा 28 के तहत किया जा सकता है. ये आदेश प्रदेश के शीर्ष अधिकारी के साथ संबंधित इलाके के कलेक्टेर को देना होता है.

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