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भाग 25 pm ke pen se bate brahma puran ki यादव, हैहय और अवंति का वर्णन

यादव, हैहय और अवंति का वर्णन

सहस्त्रबाहु कार्तवीर्य अर्जुन की जानकारी देते हुए लोमहर्षण जी आगे कहते हैं।

कार्तवीर्य के सौ पुत्र थे, किन्तु उनमें पाँच ही शेष बचे। वे सभी अस्त्र-शस्त्रों के ज्ञाता, बलवान, शूर, धर्मात्मा और यशस्वी थे। उनके नाम ये हैं- शूरसेन, शूर, वृषण, मधुपध्वज और जयध्वज।

जयध्वज (1. अ. जा.) अवन्ती के महाराज थे। जयध्वज के पुत्र महाबली तालजङ्घ हुए। उनके सौ पुत्र थे, जो तालजङ्घ के नाम से विख्यात थे।

हैहयवंश में वीतिहोत्र, सुजात, भोज, अवन्ति, तौण्डिकेर, तालजङ्घ तथा भरत आदि क्षत्रियों का समुदाय हुआ। इनकी संख्या बहुत होने से पृथक पृथक नाम नहीं बतलाये गये।

वृष आदि बहुत-से पुण्यात्मा यादव इस पृथ्वीपर उत्पन्न हुए। उनमें वृष वंश के प्रवर्तक थे। वृष के पुत्र मधु थे। मधु के सौ पुत्र हुए, जिनमें वृषण वंश चलानेवाले हुए, वृषण के वृष्णि और मधु के वंशज माधव कहलाये। इसी प्रकार यदु के नामपर यादव तथा हैहय के नाम से हैहय क्षत्रिय कहलाते हैं।

माना जाता हैं की जो प्रतिदिन कार्तवीर्य अर्जुन के जन्म का वृत्तान्त कहेगा, उसके धन का नाश नहीं होगा, उसका नष्ट हुआ धन भी मिल जायगा।

इस प्रकार ययाति-पुत्रों के पाँच वंश यहाँ बतलाये गये, जो समस्त लोकों को धारण करते हैं। यदु के वंशधर पुण्यात्मा क्रोष्टु के, जिनके कुल में श्रीहरि श्रीकृष्णरूप में प्रकट हुए थे, उस वंश का वर्णन सुनकर मनुष्य सब पापों से मुक्त हो जाता है।

अधिक जानकारी

1. अवंति – अवंती प्राचीन भारत का एक राज्य था, जो वर्तमान मध्य प्रदेश में स्थित था। इसे “मालवा” के नाम से भी जाना जाता था। इसकी राजधानी उज्जैन थी, जिसे उज्जयिनी भी कहा जाता था।

इस भाग में इतना ही।

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