Sunday, December 14, 2025
spot_img

12.1 C
Delhi
Sunday, December 14, 2025
spot_img

HomeNewsभोग-विलास

भोग-विलास

भोग-विलास

ब्रम्हपुराण के अनुसार भोग-विलास के विषय में ययाति के राज्य छोड़कर तपस्या के लिए जाते वक्त कहे गये अंतिम उद्गार इस प्रकार हैं।

न जातु कामः कामानामुपभोगेन शाम्यति।

हविषा कृष्णवर्त्मेव भूय एवाभिवर्धते॥

यत्पृथिव्यां व्रीहियवं हिरण्यं पशवः स्त्रियः।

नालमेकस्य तत्सर्वमिति कृत्वा न मुह्यति।।

यदा भावं न कुरुते सर्वभूतेषु पापकम्।

कर्मणा मनसा वाचा ब्रह्मा सम्पद्यते तदा॥

यदा तेभ्यो न बिभेति यदा चास्मान्न बिभ्यति।

यदा नेच्छति न द्वेष्टि ब्रह्म सम्पद्यते तदा॥

या दुस्त्यजा दुर्मतिभिर्या न जीर्यति जीर्यतः।

योऽसौ प्राणान्तिको रोगस्तां तृष्णां त्यजतः सुखम्॥

जीर्यन्ति जीर्यतः केशा दन्ता जीर्यन्ति जीर्यतः।

धनाशा जीविताशा च जीर्यतोऽपि न जीर्यति॥

यच्च कामसुखं लोके यच्च दिव्यं महत्सुखम्।

तृष्णाक्षयसुखस्यैते नार्हन्ति षोडशीं कलाम् ॥

भोगों की इच्छा उन्हें भोगने से कभी शान्त नहीं होती, अपितु घी से आग की भाँति और भी बढ़ती ही जाती है। इस पृथ्वीपर जितने भी धान, जौ, सुवर्ण, पशु तथा स्त्रियाँ हैं, वे सब एक मनुष्य के लिये भी पर्याप्त नहीं हैं, ऐसा समझकर विद्वान् पुरुष मोह में नहीं पड़ता। जब जीव मन, वाणी और क्रिया द्वारा किसी भी प्राणी के प्रति पाप-बुद्धि नहीं करता, तब वह ब्रह्म भाव को प्राप्त होता है। जब वह किसी भी प्राणी से नहीं डरता तथा उससे भी कोई प्राणी नहीं डरते, जब वह इच्छा और द्वेष से परे हो जाता है, उस समय ब्रह्म भाव को प्राप्त होता है। खोटी बुद्धिवाले पुरुषों द्वारा जिसका त्याग होना कठिन है, जो मनुष्य के बूढ़े होने पर भी बूढ़ी नहीं होती तथा जो प्राणनाशक रोग के समान है, उस तृष्णा का त्याग करनेवाले को ही सुख मिलता है। बूढ़े होनेवाले मनुष्य के बाल पक जाते हैं, दाँत टूट जाते हैं; परन्तु धन और जीवन की आशा उस समय भी शिथिल नहीं होती। संसार में जो कामजनित सुख है तथा जो दिव्य लोक का महान् सुख है, वे सब मिलकर तृष्णा-क्षय से होनेवाले सुख की सोलहवीं कला के बराबर भी नहीं हो सकते।

तृष्णा के प्रकार-

काम-तृष्णा: यह इंद्रियों द्वारा प्राप्त होने वाली सुखद अनुभूतियों, जैसे कि रूप, रस, गंध, स्पर्श और शब्द, की निरंतर लालसा है। 

भव-तृष्णा: यह जीवन, अस्तित्व और संसार में बने रहने की प्रबल इच्छा है। व्यक्ति अपने जीवन और अस्तित्व को बनाए रखने के लिए हर संभव प्रयास करता है। विभव-तृष्णा: यह उन चीजों के नाश् या विनाश की इच्छा है जो सुखद नहीं हैं, और साथ ही उन चीजों के होने से बचने की इच्छा भी है जो दुखद हैं।

हमारें वीडियो और पोस्ट में दी जानेवाली जानकारी को देखने और ड्राफ्ट को कॉपी पेस्ट करने के लिए आप हमारे यूट्यूब चैनल, ब्लॉग, फेसबुक, न्यूज वेबसाइट को विजिट कर सकते हैं।

उनमें लिखें टेक्स्ट को कॉपी पेस्ट करके अपने लिए नोट्स बना सकते हैं।

यदि फिर भी कोई समस्या आ रही हैं तो वीडियो और पोस्ट में दी गयी मेल आईडी पर मेल करें या सोशल मीडिया पर मैसेज करें। हम यथासंभव सभी को जानकारी देने की कोशिश करेंगे।

ज्योतिष संबंधी मेल आईडी- pmsastrology01@gmail.com

धर्मग्रंथ संबंधी मेल आईडी- dharmgranthpremi@gmail.com

आपका फोन आने पर हम बिजी रहेंगे तो बात नहीं हो पायेगी, इसलिए मेल आईडी पर ही अपने सवाल पूछे या सोशल मीडिया पर मैसेज करें।

हमें जब भी वक़्त मिलेगा रात-देर रात आपके सवालों का जवाब देने की कोशिश करेंगे।

हमारे कंटेंट को ढूंढने के लिए कुछ आसान कीवर्ड्स इस प्रकार हैं-

pm ke pen se brahma puran

pm ke pen se tarot card

pm ke pen se kundali jyotish

धन्यवाद!

RELATED ARTICLES

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here

- Advertisment -spot_img
- Advertisment -spot_img

Most Popular