पृथु ने उत्पन्न होने पर वेन को ‘पुम’ नामक नरक से छुड़ा लिया।
महाराज पृथु के अभिषेक के लिए सभी नदियाँ और समुद्र रत्न और जल लेकर स्वयं ही उपस्थित हुए थे। अंगिरस देवताओं के साथ ब्रम्हाजी तथा चराचर भूतों ने वहाँ आकर पृथु का राज्याभिषेक किया।
राजा पृथु जब समुद्र की यात्रा करते थे तब उसका जल स्थिर हो जाता था। पर्वत उन्हें जाने के लिए रास्ता देते थे। उनके रथ की ध्वजा कभी भंग नहीं हुई। उनके राज्य में पृथ्वी बिना जोते-बोते अन्न पैदा करती। राजा का चिंतन करने मात्र से अन्न सिद्ध हो जाता था। सभी गौए कामधेनु बन गयी थी और पत्तो के दोने-दोने में मधु भरा रहता था।
उसी समय पृथु ने ब्रम्हाजी से संबंध रखनेवाला महायज्ञ किया। उसमें (1. अ. जा.) सोमाभिषव के दिन सूती से परम बुद्धिमान सूत की उत्पत्ति हुई। उसी यज्ञ में विद्वान मागध का भी प्रादुर्भाव हुआ। उन दोनों को महर्षियों ने पृथु की स्तुति करने को कहा। उन दोनोंने कहा हम तो महाराज पृथु के बारें में कुछ भी नहीं जानते। ऋषियोने कहा आप भविष्य में होनेवाले गुणों का उल्लेख करते हुए स्तुति करो। उन्होंने वैसा ही किया।
उन्होंने स्तुति में जो-जो कर्म कहें, उन्हें पृथु ने बाद में पूर्ण किया। तभी से आशीर्वाद देने की रीति चली आ रही हैं।
जब उनकी स्तुति पूरी हुई तब पृथु ने प्रसन्न होकर सूत को (2. अ. जा.) अनूप देश का राज्य दिया और मागध को (3. अ. जा.) मगध राज्य दिया।
अधिक जानकारी
1. सोमाभिषव – सोमरस चुआना। (चुआना = बूंद-बूंद गिराना, टपकाना)
2. अनूप राज्य – “अनूप” एक भारतीय नाम है, जिसका अर्थ है “अतुलनीय” या “अनोखा”। यह नाम संस्कृत के शब्द “अनूप” से लिया गया है, जिसका अर्थ है “पानी के पास स्थित”। “अनूप” एक शहर का नाम भी है, जो पश्चिम बंगाल में स्थित है। इसके अलावा, “अनूप” शब्द का उपयोग महासागर या समुद्र के किनारे स्थित एक उथले जल क्षेत्र के लिए भी किया जाता है, जिसे “लैगून” या “अनूप झील” कहा जाता है।
3. मगध राज्य – मगध प्राचीन भारत का एक शक्तिशाली महाजनपद था, जो पूर्वी गंगा के मैदान में स्थित था।
समाप्त
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