उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले के गढ़मुक्तेश्वर क्षेत्र में इंद्रनगर कॉलोनी के निवासियों को उनकी जमीन और घरों से बेदखल करने की तैयारी ने एक नए विवाद को जन्म दिया है। हापुड़ नगर पालिका ने 41 परिवारों, जिनमें ज्यादातर दलित समुदाय के हैं, को बेदखली का नोटिस जारी किया है, जिसमें दावा किया गया है कि उनके घर नगर पालिका की जमीन पर अवैध रूप से बने हैं। हैरानी की बात यह है कि इनमें से कई घर प्रधानमंत्री आवास योजना (PMAY) के तहत सरकारी मंजूरी के साथ बनाए गए थे। इस नोटिस ने स्थानीय निवासियों में आक्रोश और डर का माहौल पैदा कर दिया है।
हापुड़ नगर पालिका ने अपने नोटिस में कहा है कि इंद्रनगर कॉलोनी में 10 बीघा जमीन पर बने 41 घर अवैध रूप से बनाए गए हैं, क्योंकि यह जमीन नगर पालिका की संपत्ति है।

नोटिस में निवासियों को चेतावनी दी गई है कि वे “पहले से ही जमीन खाली करने के लिए कहे गए थे, लेकिन जबरन डटे हुए हैं।” नगर पालिका ने निवासियों को अपने दस्तावेज जमा करने के लिए कहा है, ताकि उनकी वैधता की जांच की जा सके।
अतिरिक्त जिला मजिस्ट्रेट (वित्त/राजस्व) संदीप कुमार ने बताया कि इस संबंध में एक शिकायत मिली थी, जिसमें दावा किया गया कि यह जमीन एक तालाब पर अतिक्रमण करके बनाई गई है। उन्होंने कहा, “परिवारों को अपने पट्टे और घरों से संबंधित दस्तावेज जमा करने के लिए कहा गया है, और उसके आधार पर कार्रवाई की जाएगी। यह भी जांच की जाएगी कि PMAY योजना के लाभ कैसे प्राप्त किए गए। जिम्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई होगी।”
स्थानीय सामाजिक कार्यकर्ता राजेश कुमार ने कहा, “यह एक बड़ा घोटाला है। अगर यह जमीन नगर पालिका की थी, तो PMAY के तहत मकान बनाने की अनुमति कैसे दी गई? यह प्रशासन की लापरवाही है, और अब इसका खामियाजा गरीब दलित परिवारों को भुगतना पड़ रहा है।”

“हमने 2016 में PMAY के तहत मकान बनाया था। सरकार ने हमें मंजूरी दी थी। अब वे कह रहे हैं कि यह जमीन उनकी है और हमें निकाल देंगे। हमारे पास और कोई जगह नहीं है।” एक अन्य निवासी, छोटेलाल, ने बताया कि उनके पास जमीन का पट्टा है, जो 1980 के दशक में नगर पालिका द्वारा आवंटित किया गया था। उन्होंने सवाल उठाया, “अगर यह जमीन अवैध थी, तो हमें PMAY के तहत मकान बनाने की अनुमति क्यों दी गई?” — (निवासी –रामवती )
हापुड़ की जिला मजिस्ट्रेट प्रेरणा शर्मा और गढ़मुक्तेश्वर की उप-जिलाधिकारी से इस मामले पर टिप्पणी के लिए संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन वे उपलब्ध नहीं थीं। स्थानीय प्रशासन ने अभी तक यह स्पष्ट नहीं किया है कि PMAY के तहत मंजूरी प्राप्त घरों को अब अवैध क्यों माना जा रहा है और इस मामले में आगे की कार्रवाई क्या होगी।

कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि बेदखली की प्रक्रिया को लागू करने से पहले निवासियों को अपनी बात रखने का पूरा मौका दिया जाना चाहिए। भारत में किराया नियंत्रण अधिनियम 1948 और स्थानांतरण संपत्ति अधिनियम 1882 के तहत, बेदखली के लिए उचित नोटिस और कानूनी प्रक्रिया का पालन करना अनिवार्य है। इसके अलावा, अगर निवासियों के पास वैध दस्तावेज हैं, तो उनकी जमीन और घरों को अवैध घोषित करना कानूनी रूप से चुनौती दी जा सकती है।

इंद्रनगर कॉलोनी के निवासियों ने फैसला किया है कि वे इस बेदखली नोटिस के खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ेंगे। कुछ निवासियों ने अपने दस्तावेज जमा करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है, जबकि अन्य सामाजिक संगठनों और वकीलों की मदद ले रहे हैं। इस बीच, स्थानीय राजनीतिक दलों ने भी इस मुद्दे को उठाना शुरू कर दिया है, जिससे यह मामला और गर्माने की संभावना है।