विदेह प्रांत, शुक्तिमती आदि का वर्णन
यह इस वीडियो सीरीज का आखरी भाग होनेवाला हैं। वेदपुराण का ज्ञान देने के लिए अनेकों महाज्ञानी संसार भर में फैले हुए हैं।
हम सिर्फ ज्योतिषीय विषय से संबंधित और जीवन एवं घरेलू समस्याओं के लिए उपायात्मक भाग को अधोरेखित करना चाह रहे हैं।
इसलिए उनसे संबंधित अलग सीरीज बनाकर हम आप सबके सामने सभी धर्मग्रंथों का जीवन में महत्व और उपयोग समझाने की कोशिश करनेवाले हैं।
लोमहर्षणजी ब्रम्हपुराण सुनाते हुये आगे कहते हैं।
रुक्मकवच के परजित तथा परजित के पाँच पुत्र हुए- रुक्मेषु, पृथुरुक्म, ज्यामघ, पालित तथा हरि।
पालित और हरि को पिता ने (1. अ. जा.) विदेह प्रान्त की रक्षा में नियुक्त कर दिया।
रुक्मेषु पृथुरुक्म की सहायता से राजा हुए। इन दोनों भाइयोंने राजा ज्यामघ को घर से निकाल दिया। तब वे वन में आश्रम बनाकर रहने लगे। उस समय शान्तिपरायण राजा को ब्राह्मणोंने बहुत कुछ समझाया। तब वे धनुष लेकर रथपर आरूढ हो दूसरे देश में गये। अकेले ही नर्मदा के तटपर जाकर उन्होंने मेकला, मृत्तिकावती तथा ऋक्षवान पर्वत को जीतकर (2. अ. जा.) शुक्तिमती नगरी में निवास किया।
ज्यामघ की पत्नी शैब्या थी, जो पतिव्रता होने के साथ ही बड़ी प्रबल थी। यद्यपि राजा को कोई पुत्र नहीं था, तथापि उन्होंने पत्नी के भय से दूसरी स्त्री से विवाह नहीं किया। एक बार किसी युद्ध में विजयी होनेपर उन्हें एक कन्या मिली। उसे रथपर बैठी देख स्त्रीने पूछा- ‘यह कौन है ?’ तब वे डरकर बोले- ‘यह तुम्हारी पुत्रवधू है।’ यह सुनकर रानी बोली- ‘मेरे तो कोई पुत्र नहीं, फिर यह किस की पत्नी होने से पुत्रवधू हुई ?’ यह सुनकर ज्यामघने कहा- ‘तुम्हें जो पुत्र उत्पन्न होगा, उसके लिये यह पत्नी प्रस्तुत की गयी है।’
तत्पश्चात रानी शैब्याने कठोर तपस्या करके एक विदर्भ नामक पुत्र उत्पन्न किया। उसका विवाह उक्त राजकन्या से हुआ। उसके गर्भ से क्रथ और कौशिक नामक पुत्र उत्पन्न हुए। वे दोनों बड़े ही शूर तथा युद्धविशारद थे।
उसके बाद विदर्भ के भीम नामक पुत्र हुआ। उसके पुत्र का नाम कुन्ति हुआ।
कुन्ति से धृष्ट का जन्म हुआ, जो संग्राम में धृष्ट और प्रतापी था। धृष्ट के आवन्त, दशार्ह तथा विषहर नामक तीन पुत्र हुए, जो बड़े धर्मात्मा और शूरवीर थे। दशार्ह के व्योमा और व्योमा के पुत्र जीमूत बतलाये जाते हैं।
जीमूत के विकृति, विकृति के भीमरथ, भीमरथ के नवरथ और नवरथ के पुत्र दशरथ हुए।
दशरथ के पुत्र का नाम शकुनि था। शकुनि से करम्भ तथा करम्भ से देवरात का जन्म हुआ।
देवरात के पुत्र देवक्षत्र तथा देवक्षत्र के महायशस्वी वृद्धक्षत्र हुए। वे देवकुमार के समान कान्तिमान थे।
इनके सिवा मधुरभाषी राजा मधु का भी जन्म हुआ, जो मधुवंश के प्रवर्तक थे। मधु के उनकी पत्नी वैदर्भी से नरश्रेष्ठ पुरुद्वान की उत्पत्ति हुई। मधु की दूसरी पत्नी इक्ष्वाकुवंश की कन्या थी। उससे सर्वगुणसम्पन्न सत्त्वान हुए, जो सात्त्वत कुल की कीर्ति को बढ़ानेवाले थे।
अधिक जानकारी
1. विदेह प्रांत – विदेह प्रांत, जिसे मिथिला के नाम से भी जाना जाता है, प्राचीन भारत का एक प्रसिद्ध क्षेत्र था। यह वर्तमान बिहार राज्य के उत्तरी भाग और नेपाल के कुछ हिस्सों में फैला हुआ था।
2. शुक्तिमती – शुक्तिमती चेदि साम्राज्य की राजधानी का नाम है, जो हिंदू साहित्य में वर्णित है। यह शुक्तिमती नदी के तट पर स्थित है, जो इस क्षेत्र से होकर बहती है। बौद्ध ग्रंथों में इसे सोत्थिवती-नागारा कहा गया है।
इस भाग में इतना ही।
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