सूर्य का वर्णन तथा जनपदों की जानकारी
राहु से आहत होकर जब सूर्य आकाश से पृथ्वीपर गिरने लगे और समस्त संसार में अन्धकार छा गया, उस समय प्रभाकरने ही अपनी प्रभा फैलायी। महर्षिने गिरते हुए सूर्य को ‘तुम्हारा कल्याण हो’ यह कहकर आशीर्वाद दिया। उनके इस कथन से सूर्य पृथ्वीपर नहीं गिरे।
महातपस्वी प्रभाकरने सब गोत्रों में अत्रि को ही श्रेष्ठ बनाया। अत्रि के यज्ञ में देवताओंने उनके बल की प्रतिष्ठा की। उन्होंने रौद्राश्व की कन्याओं से दस पुत्र उत्पन्न किये, जो महान सत्त्वशाली तथा उग्र तपस्या में तत्पर रहनेवाले थे। वे सभी वेदों के पारङ्गत विद्वान तथा गोत्रप्रवर्तक हुए। स्वस्त्यात्रेय नाम से उनकी ख्याति हुई। कक्षेयु के सभानर, चाक्षुष तथा परमन्यु – ये तीन महारथी पुत्र हुए। सभानर के पुत्र कालानल तथा कालानल के धर्मज्ञ सृञ्जय हुए। सृञ्जय के पुत्र वीर राजा पुरञ्जय थे। पुरञ्जय के पुत्र का नाम जनमेजय हुआ। जनमेजय के पुत्र महाशाल थे, जो देवताओं में भी विख्यात हुए और इस पृथ्वीपर भी उनका यश फैला था। महाशाल के पुत्र महामना के नामसे विख्यात थे।
देवताओंने भी उनका सत्कार किया था। उन्होंने धर्मज्ञ उशीनर तथा महाबली तितिक्षु – ये दो पुत्र उत्पन्न किये। उशीनर की पाँच पत्नियाँ थीं, जो राजर्षियों के कुल में उत्पन्न हुई थीं। उनके नाम इस प्रकार हैं- नृगा, कृमि, नवा, दर्वा तथा दृषद्वती। उनसे उशीनर के पाँच पुत्र हुए-नृगा के पुत्र नृग थे, कृमि के गर्भ से कृमिका का जन्म हुआ था। नवा के नव तथा दर्वा के सुव्रत हुए। दृषद्वती के गर्भ से उशीनरकुमार शिबि की उत्पत्ति हुई।
शिबि को (1. अ. जा.) शिबिदेश का राज्य मिला। नृग के अधिकार में यौधेय प्रदेश आया। नव को नवराष्ट्र तथा कृमि को कृमिलापुरी का राज्य प्राप्त हुआ। सुव्रत के अधिकार में अम्बष्ठ देश आया। शिबि के विश्वविख्यात चार पुत्र हुए – वृषदर्भ, सुवीर, केकय तथा मद्रक। उनके समृद्धिशाली (2. अ. जा.) जनपद उन्हीं के नामसे प्रसिद्ध हुए।
अधिक जानकारी
1. सीबीदेश – सीबीदेश की जानकारी नहीं मिल पायी।
यौधेय – यौधेय एक प्राचीन भारतीय गणराज्य था जो योद्धाओं के रूप में प्रसिद्ध था।
नवराष्ट्र – जानकारी नहीं मिल पायी।
कृमिलापूरी – जानकारी नहीं मिल पायी।
अम्बष्ठ – इस नाम से कोई जगह नहीं मिली पर भारत में इस जाति के लोग हैं जो उत्तर भारत में ज्यादातर पाये जाते हैं।
2. कैकय जनपद – केकय जनपद प्राचीन भारत का एक राज्य था जो अविभाजित पंजाब के उत्तर-पश्चिम दिशा में, गांधार और व्यास नदी के बीच स्थित था। यह राज्य आधुनिक पाकिस्तान के झेलम, शाहपुर और गुजरात (पाकिस्तान) के क्षेत्रों में फैला हुआ था। इसे कैकेय, कैकस या कैकेयस भी कहा जाता था।
मद्रक जनपद प्राचीन भारत का एक जनपद था, जो महाभारत काल में पश्चिमी क्षेत्र में स्थित था। इसकी राजधानी सागल थी, जो वर्तमान में पंजाब, पाकिस्तान में है।
मद्र जनपद के लोग अपनी वीरता और युद्ध कौशल के लिए जाने जाते थे।
कथा में वर्णित अन्य जनपदों की जानकारी नहीं मिल पायी हैं।
आज के भाग में इतना ही।
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