कोणादित्य मंदिर, श्रीरामेश्वर के दर्शन पूजन से लाभ
महत्व:
ब्रम्हपुराण के अनुसार चैत्र महीने के शुक्लपक्ष को भगवान कोणादित्य की यात्रा होती हैं जो दमणभंजिका के नाम से प्रसिद्ध हैं।
जो कोई यह यात्रा करता हैं या इन मंदिरों में पूजा पाठ करता हैं वह पुण्यफल प्राप्त करता हैं।
जो लोग यात्रा में ना जा सके वें सूर्योदय-सूर्यास्त के समय, संक्रांति के दिन, विषुव योग में, उत्तरायण या दक्षिणायन के आरंभ में, रविवार के दिन, सप्तमी तिथि को, पर्व के समय जा सकते हैं।
लाभ:
सूर्यलोक की प्राप्ति, दस अश्वमेध यज्ञ का फल, पापमुक्ति, दिव्य शरीर धारण, सूर्य के समान तेज, इच्छा अनुसार गमन, स्वर्गसुख, योगी कुल में पुनर्जन्म, वेदज्ञान, ब्राम्हन कुल में जन्म, सूर्य से योगप्राप्ति, मोक्षप्राप्ति।
कोणादित्य मंदिर पूजन विधि:
समुद्रस्नान करके सूर्य को अर्ध्य दे। सूर्य को प्रणाम करें। मौन होकर हाथ में फूल लेकर मंदिर में प्रवेश करें। भगवान कोणादित्य की तीन बार प्रदक्षिणा करें। गंध, पुष्प, धूप, दिप, नैवेद्य अर्पण करें। साष्टांग प्रणाम करें। जयघोष और स्तोत्रपाठ करें।
पूजन मंत्र:
हां हृदयाय नमः, अग्निकोणे।
ह्रीं शिरसे नमः, नैऋत्ये।
हूं शिखापैक वायव्ये।
हैं कवचाय नमः, ऐशाने।
हौं नेत्रत्रयाय नमः, मध्यभागे।
ह्रः अस्त्राय नमः, चतुर्दिक्षु’ इति।
श्रीरामेश्वर मंदिर पूजनविधि:
गंध, पुष्प, धूप, दिप, नैवेद्य अर्पण करें। नमस्कार करें। भजन और स्तोत्रपाठ करें।
भौगोलिक जानकारी:
इस मंदिर की भौगोलिक जानकारी नहीं मिल पायी हैं। जो मिली हैं वह इस प्रकार हैं-
रामेश्वरम के पास कोई प्रमुख, अलग से बना सूर्य मंदिर नहीं है, लेकिन रामेश्वरम के मुख्य रामनाथस्वामी मंदिर के परिसर में सूर्य देव से जुड़े स्थान हैं और सूर्य नार कोविल नामक एक प्रसिद्ध सूर्य मंदिर तमिलनाडु के कुंभकोणम के पास है, जो सूर्य देव और नवग्रहों को समर्पित है; रामेश्वरम के पास सूर्य देव की पूजा का संबंध भगवान राम के सूर्य देव से आशीर्वाद लेने से जुड़ा है, खासकर रघुनाथेश्वर मंदिर में पूजा का उल्लेख मिलता है।
जो जानकर लोग होंगे वें इसपर अधिक प्रकाश डाल पायेंगे।
इस भाग में इतना ही।
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