ब्रह्मपुराण अनुसार सूर्य पूजा
भगवान सूर्यदेव के स्तवन, जप, उपहार, समर्पण, पूजन, व्रत-उपवास, भजन-कीर्तन से, पृथ्वीपर माथा टेक कर सूर्य को नमस्कार करने से तत्काल सब पाप नष्ट हो जाते हैं।
षष्ठी या सप्तमी को एक समय का भोजन करके नियमपूर्वक, भक्तिपूर्वक सूर्यपूजा करने से अश्वमेध यज्ञ का फल मिलता हैं। षष्ठी औऱ सप्तमी को दिन और रात उपवास करके सूर्यपूजन करने से परमगति मिलती हैं।
शुक्लपक्ष की सप्तमी के रविवार को विजयासप्तमी होती हैं, उस दिन दिया हुआ दान महान फल देता हैं। इस दिन किया हुआ स्नान, दान, तप, होम, उपवास बड़े पाप को भी नष्ट कर देता हैं।
रविवार के दीन श्राद्ध और सूर्यपूजन करने से अभीष्ट सिद्धि होती हैं।
संपूर्ण धार्मिक कार्य सूर्यकृपा पाने के लिए किये जाये तो कुल में कोई दरिद्र नहीं रहता।
सफेद, लाल अथवा पीली मिठ्ठी से सूर्य मंदिर का लेप करने से मनोवांछित फल मिलते हैं। विविध सुगंध के फूल से सूर्यदेव का पूजन करने से अभीष्ट सिद्धि होती हैं। घी अथवा तेल के दिये से सूर्यपूजा करने से अंधापन नहीं आता।
दिप दान करने से ज्ञान का प्रकाश बढ़ता हैं। हमेशा मंदिर, चौक, सड़कों पर दीपदान करते रहने से रुप और सौभाग्य में वृद्धि होती हैं। दिप दान से दिव्यता मिलती हैं, पुनर्जन्म पशुयोनि में नहीं होता।
सूर्योदय के समय एक वर्ष तक सूर्य को अर्ध्य देने से सिद्धि प्राप्त होती हैं। सूर्योदय से सूर्यास्त तक जो सूर्य की तरफ मुख करके सूर्यमंत्र, सूर्यस्तोत्र का पठन करता हैं उसके बड़े पापों का नाश होता हैं इस व्रत को आदित्यव्रत कहते हैं।
सूर्य को अर्ध्य देकर दान देने से पापमुक्ति मिलती हैं।
अग्नि, जल, आकाश, पवित्र भूमि, प्रतिमा, पिंडी में सूर्य को अर्ध्य देने से, उत्तरायण और दक्षिणायन में विशेष पूजा करने से सब पापों से मुक्ति मिलती हैं।
प्रत्येक वेला और कुवेला में भक्तिपूर्वक सूर्य पूजा करने से सूर्यलोक की प्राप्ति होती हैं। पवित्र तीर्थ में सूर्य को स्नान कराने हेतु पानी भर लाने से परमगति प्राप्त होती हैं।
सूर्य को छत्र, ध्वजा, चंदोवा, पताका, चंवर आदि का दान करने से अभीष्ट गति प्राप्त होती हैं। सूर्य को जो भी दान किया जाता हैं वह सूर्यदेव लाखगुना बढ़ाकर वापस कर देते हैं। सूर्यकृपा से मानसिक, वाचिक, शारिरिक आदि सब पाप नष्ट हो जाते हैं।
सूर्यदेव का एक दिन का पूजन शेकडो यज्ञ अनुष्ठान से बढ़कर होता हैं।
इन्द्र, धाता, पर्जन्य, त्वष्टा, पूषा, अर्यमा, भग, विवस्वान, विष्णु, अंशुमान, वरुण और मित्र-इन बारह मूर्तियोंद्वारा सूर्यने सम्पूर्ण जगत को व्याप्त कर रखा है। इन मूर्तियों का ध्यान, नमन, नाम पठन और श्रवण करने से सूर्यलोक की प्राप्ति होती हैं।
कभी भी जलते हुए दीपक को नष्ट नहीं करना चाहिए और ना ही चुराना चाहिए। जो ऐसा करता हैं वह बंधन में पड़ता हैं, उसका नाश होता हैं, वह क्रोध का शिकार होता हैं, उसे नरक मिलता हैं।
ब्रम्हपुराण में कहा गया हैं की जो सूर्यभक्त नहीं हैं उसे सूर्यमहिमा की जानकारी नहीं देनी चाहिए।
इस भाग में इतना ही।
हमारें वीडियो और पोस्ट में दी जानेवाली जानकारी को देखने और ड्राफ्ट को कॉपी पेस्ट करने के लिए आप हमारे यूट्यूब चैनल, ब्लॉग, फेसबुक, न्यूज वेबसाइट को विजिट कर सकते हैं।
उनमें लिखें टेक्स्ट को कॉपी पेस्ट करके अपने लिए नोट्स बना सकते हैं।
यदि फिर भी कोई समस्या आ रही हैं तो वीडियो और पोस्ट में दी गयी मेल आईडी पर मेल करें या सोशल मीडिया पर मैसेज करें। हम यथासंभव सभी को जानकारी देने की कोशिश करेंगे।
ज्योतिष संबंधी मेल आईडी- pmsastrology01@gmail.com
धर्मग्रंथ संबंधी मेल आईडी- dharmgranthpremi@gmail.com
आपका फोन आने पर हम बिजी रहेंगे तो बात नहीं हो पायेगी, इसलिए मेल आईडी पर ही अपने सवाल पूछे या सोशल मीडिया पर मैसेज करें।
हमें जब भी वक़्त मिलेगा रात-देर रात आपके सवालों का जवाब देने की कोशिश करेंगे।
हमारे कंटेंट को ढूंढने के लिए कुछ आसान कीवर्ड्स इस प्रकार हैं-
pm ke pen se
pm ke pen se brahma puran
pm ke pen se tarot card
pm ke pen se kundali jyotish
pm ke pen se dharmgrantho se upay, upachar aur uargdarshan
dharmgrantho se upay, upachar aur uargdarshan




