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HomeNewsहीमोफीलिया के मरीज आर्यन यादव की मौत: स्वास्थ्य व्यवस्था पर उठे सवाल

हीमोफीलिया के मरीज आर्यन यादव की मौत: स्वास्थ्य व्यवस्था पर उठे सवाल

बागपत — (गौरव सिंधु)

जिले के पिलाना ब्लॉक के पूठाड गांव के 15 वर्षीय आर्यन यादव, जो हीमोफीलिया के मरीज थे, की दुखद मृत्यु 27 अगस्त की शाम 6 बजे हो गई। आर्यन मेरठ मेडिकल से फैक्टर 8 लगवाता था, उसको पहले घुटने में सूजन हुई थी, जिसके बाद उसे पेट में आंतरिक रक्तस्राव हो गया। दो दिनों से परिवार उसको लेकर इधर उधर भटका उसे मेरठ ले जाया गया, लेकिन वहां फ़ैक्टर VIII उपलब्ध नहीं था। इसके बाद उसे दिल्ली ले जाया गया, लेकिन वहां डॉक्टरों की हड़ताल के कारण फ़ैक्टर उपलब्ध नहीं हो पाया, और आर्यन की जान चली गई।


परिवार संस्था से जुड़ा होने के बाद भी संस्था से संपर्क नही कर पाये और जान चली जाने के बाद आर्यन के बड़े भाई ने यह दुखद खबर 28 अगस्त को आई ड्रीम टू ट्रस्ट संस्था के संस्थापक, राजन चौधरी, को दी। इस घटना पर शोक व्यक्त करते हुए, राजन चौधरी ने कहा कि यदि परिवार ने समय पर संस्था से संपर्क किया होता, तो शायद आर्यन की जान बचाई जा सकती थी।
राजन चौधरी ने इस मृत्यु के लिए स्वास्थ्य व्यवस्था को जिम्मेदार ठहराया है। उन्होंने बताया कि पिछले एक वर्ष से भी अधिक समय से फ़ैक्टर VIII की भारी कमी चल रही है।

उन्होंने यह भी कहा कि 24 अगस्त को 200 वायल आई थीं, जो 26 अगस्त की दोपहर तक ही समाप्त हो गई थीं। मेडिकल कॉलेज, मेरठ सेंटर में लगभग 260 हीमोफीलिया के मरीज हैं, जिनके लिए प्रति माह लगभग 2000 वायल्स की आवश्यकता होती है, लेकिन पिछले 1 वर्षो से थोड़े थोड़े फैक्टर ही आ रहे है वो भी 15 से 20 दिन के अंतराल पर इस कमी के कारण बाकी के मरीज और उनके परिवार बहुत परेशान हैं और उनकी जान को भी खतरा बना हुआ है।

राजन चौधरी ने यह भी बताया कि दिल्ली का लोक नायक हीमोफीलिया सेंटर, जो कभी मरीजों के लिए एक उम्मीद हुआ करता था, वहां भी पिछले दो वर्षों से फ़ैक्टर की भारी कमी हो रही है। उन्होंने सरकार और संबंधित अधिकारियों पर सवाल उठाया कि क्या हीमोफीलिया के जीवन की कोई कीमत नहीं और पूछा कि इस मौत का जिम्मेदार कोन है क्या कोई बता सकता है, एक हफ्ता पहले लखनऊ में भी एक मरीज की जान चली गई थी।
राजन चौधरी ने अपील की जल्द से जल्द इस समस्या का समाधान किया जाए ताकि भविष्य में और लोगों की जान न जाए।

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