केंद्र सरकार ने पूर्व प्रशिक्षु अधिकारी पूजा खेडकर को भारतीय प्रशासनिक सेवा यानी आईएएस से बर्खास्त कर दिया है। कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के अधिकारियों के अनुसार केंद्र सरकार ने शुक्रवार को यह आदेश निकाला। 6 सितंबर के आधिकारिक आदेश के अनुसार, खेडकर को आईएएस (प्रोबेशन) नियम के तहत सेवामुक्त कर दिया गया। इस नियम में किसी प्रोबेशनर को सेवा में भर्ती के लिए अयोग्य पाए जाने के आधार पर सेवामुक्त करने का प्रावधान है।

सिविल सेवा परीक्षा के नियमों का उल्लंघन करने के आरोपों के बाद संघ लोक सेवा आयोग ने 31 जुलाई को सीएसई-2022 के लिए पूजा की उम्मीदवारी रद्द कर दी। कथित तौर पर उन्होंने परीक्षा में बैठने के लिए अनुमति से ज़्यादा बार अपना नाम और माता-पिता का नाम बदला था।
खेडकर ने 2020-21 तक ओबीसी कोटे के तहत ‘पूजा दिलीपराव खेडकर’ नाम से परीक्षा दी थी। 2021-22 में सभी प्रयासों को ख़त्म करने के बाद वह ओबीसी और पीडब्ल्यूबीडी (बेंचमार्क विकलांग व्यक्ति) कोटे के तहत परीक्षा में शामिल हुईं। इस बार ‘पूजा मनोरमा दिलीप खेडकर’ नाम का उपयोग किया। वह 821 रैंक के साथ परीक्षा पास करने में सफल रहीं।
यूपीएससी ने जुलाई महीने के आख़िर में पूजा खेडकर का आईएएस चयन रद्द कर दिया और उन्हें भविष्य में इसकी परीक्षा देने से रोक भी दिया। पूजा खेडकर पर सिविल सेवा परीक्षा में अपनी उम्मीदवारी पाने के लिए विकलांगता और अन्य पिछड़ा वर्ग (गैर-क्रीमी लेयर) कोटे का दुरुपयोग करने का आरोप है।

यूपीएससी ने यह कार्रवाई पूजा खेडकर की पात्रता और उनके आवेदन से जुड़ी परिस्थितियों की विस्तृत समीक्षा के बाद की है। यूपीएससी ने एक बयान में कहा था कि पूजा खेडकर को सिविल सेवा परीक्षा के नियमों का उल्लंघन करने का दोषी पाया गया है। यूपीएससी पैनल ने अपने बयान में यह भी बताया कि 18 जुलाई को कारण बताओ नोटिस जारी किया गया था। बाद में समय सीमा 30 जुलाई तक बढ़ा दी गई और आयोग ने स्पष्ट कर दिया कि यह अंतिम अवसर था। पैनल ने कहा था, ‘समय-सीमा बढ़ाए जाने के बावजूद वह निर्धारित समय के भीतर अपना स्पष्टीकरण देने में विफल रहीं।’

यूपीएससी ने तब पूजा खेडकर के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज कराया था। सिविल सेवा परीक्षा -2022 से उनकी उम्मीदवारी रद्द करने और उन्हें भविष्य की परीक्षाओं से वंचित करने के लिए कारण बताओ नोटिस दिया गया था।