रामसनेहीघाट, बाराबंकी – गायत्री परिवार के संस्थापक युग ऋषि पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य के आध्यात्मिक जन्म दिवस बसंत पंचमी के अवसर पर रामसनेहीघाट स्थित गायत्री शक्तिपीठ पर 24 घंटे का अखंड गायत्री मंत्र जप के उपरांत पंच कुंडीय गायत्री महायज्ञ संपन्न हुआ। इस मौके पर गायत्री परिजनों एवं स्थानीय नागरिको ने पहुंचकर गायत्री महायज्ञ में आहुतियां डाली। इससे पूर्व शनिवार की सुबह 7रू00 बजे से गायत्री शक्तिपीठ पर गायत्री मंत्र का अखंड जप शुरू किया गया जो रविवार की सुबह समाप्त हुआ। इसके उपरांत पंच कुंडीय गायत्री यज्ञ प्रारंभ हुआ। गायत्री महायज्ञ का संचालन शक्तिपीठ के प्रमुख ट्रस्टी डॉ शिवाकांत त्रिपाठी ने किया। उन्होंने कहा कि 1926 में बसंत पंचमी के दिन साधना के दौरान परम पूज्य गुरुदेव श्री राम शर्मा आचार्य जी को हिमालय से आई गुरुसत्ता का साक्षात्कार हुआ, इस दौरान प्रकाशपुंज रूपी गुरु ने उन्हें उनके पूर्व जन्म की याद दिलाते हुए कहा कि तुम्हारा जन्म दिव्य है इस जीवन में तुम्हें बहुत कुछ करना है। गुरुसत्ता ने आवश्यक दिशा निर्देश के साथ ही अखंड दीप प्रज्वलित कर गायत्री महापुरस्चरण करने का एक तरह से आदेश दिया जिसका पालन तत्काल शुरू करते हुए गुरुसत्ता को आस्वस्त किया कि मेरा जीवन आपका है आप इसका चाहे जैसे उपयोग करें मैं कठपुतली की तरह आपके इशारे पर जीवन भर नाचता रहूंगा। श्री त्रिपाठी ने उपस्थित लोगों को गायत्री मंत्र एवं उससे उत्पन्न होने वाली विचार शक्ति के बारे में विस्तार से बताया साथ ही कहा कि गायत्री मंत्र जप से न केवल विचार बदलते हैं बल्कि ईश्वर उन्हें सही दिशा में चलना सिखा देता है। इस दौरान विद्यारम्भ, अन्नप्राशन एवं दीक्षा संस्कार भी संपन्न कराए गए। सायंकाल बसंत के अवसर पर दीप यज्ञ का भी आयोजन किया गया।